30/12/10

तुझमे अपने को समा लिया है / Tujh Me Apne Ko Sama Liya Hai

2 टिप्‍पणियां:
                    tujh me apne ko sama liya hai ghazal by bharat tiwari (Dastakar)

तुझमे अपने को समा लिया है
खुद में खुदा को रमा लिया है

दिल को यूँ खामोश किया है
रख सीने पर पत्थर लिया है

लगी उम्मीदें तेरे आने की
सरीह*-ए-रूह मैंने किया है

नही था खेल दिन दो चार का
एक उम्र तुम्हे याद किया है

क्या हसी कहाँ की मुस्काने
हर अंदाज तेरा ही दिया है

देखना अब आ रहा है ‘भरत’
खुदी को तेरे हवाले किया है

*सरीह = pure
© भरत तिवारी सर्वाधिकार सुरक्षित
Tujh Me Apne Ko Sama Liya Hai
Khud Me Khuda Ko Rama Liya Hai

Dil Ko Yoon Khamosh Kiya Hai
Rakh Seene Par Patthar Liya Hai

Lagi Ummiden Tere Aane Ki
Sareeh*-E-Ruh Main’Ne Kiya Hai

Nahi Tha Khel Din Do Chaar Ka
Ek Umr Tumhe Yaad Kiya Hai

Kya Hasi Kahan Ki Muskaane
Har Andaaz Tera Hi Diya Hai

Dekhna Ab Aa Raha Hai ‘Bharat’
Khudi Ko Tere Hawaale Kiya Hai

*Sareeh=pure
© Bharat Tiwari All rights reserved
 

26/12/10

नववर्ष तय्यारी-कुछ बिखरे चित्र ... रफत आलम

4 टिप्‍पणियां:
रफत आलम साहेब की दिल को छूती हुई रचना


नए साल के स्वागत की तय्यारी हो रही है.
सर्दी बहुत है.
“मिंक”का कोट अच्छा लगेगा.
जिंदा जानवर की खाल उतार कर बना.
नरम नरम ,गर्म गर्म.
सीप का दिल चीर कर बना मोतियों का हार.
क्या खूब सजेगा. 
क्या फ़िक्र जो पास रूपया नहीं है.
“एस्कोर्ट” सर्विस करके ले आयंगे.
दो -चार को खुश ही तो करना है.  
परफयूम “पायजन” की खुशबु.
भीनी भीनी अच्छी लगती .
खरगोश की आँखों में डालकर.
परखी हुई है.
टेबल के लिए “कवियर” भी चाहिये.
चालीस लाख मछली के अंडे
सिर्फ चार की डिश के लिए.
आतिशबाजी –पटाखे भी लेने है.
माहोल के ज़हर से अभी कोन मर रहा है.
कानों की हिफाज़त क्या करना.
पड़ोस की परेशानी से केसा डरना.
जश्न में संगीत तो शोरभरा ही चाहिए
नए साल का स्वागत करना है
पसीने की नदी के किनारे
धूलधुलसित अधनंगे साँस लेते कंकाल.  
घुटनों के बीच सर छुपाये हुए.
सर्दी से बचाव में अधभरे पेट पर झुक गए हैं.
स्वेटर –रजाई के तस्सवुर में.    
रद्दी-टायरों के साथ जल कर रात मर जायेगी.
दूर जगमगाती रोशनियों की मरीचिका.
लाखों जागते सपनों की जिंदा कब्रगाह है.    
नए साल का स्वागत करके आप.  
खुमार में गाफिल पड़े होंगे.
ये मुफलिस उठ खड़े होंगे.
प्याज –रोटी के जुगाड में.
शाहराहों पर धुएं की तरह खो जायेगे.
गुजर जायेगी एक जनवरी ग्यारह भी.

17/12/10

कोशिश

7 टिप्‍पणियां:
main parinda ban raha hoon

Main Parinda Ban Raha Hoon Ab
Paron Ki Koplen
Aane Lagi Hain

Tumne
Saat Hi Aakash Banaye Hain
Ik Naya Banane Ki Chaah Hai

Tum Kis Aakash Se Dekhte Ho
Dekhte Ho Jis Kisi Se Bhi
Dekh Leta Hoon
Parda Hatake Khidaki Ka

Bharat 17/12/2010

9/12/10

कहाँ से तेरे ये मोती आते

1 टिप्पणी:
कहाँ से तेरे ये मोती आते
यहाँ के सारे अँधेरे जाते …
   तूने भरा होगा अपनी बाँहों में
   यों नहीं ख्वाब महकते आते …
अब मेरी पलक नहीं झुकती
नाम हवाओं में जो लिखे जाते …
   इश्क में खबर नहीं थी हमको 
   ये चाँद सिर्फ ईद में नज़र आते...
कुछ इतना ताज़ा वो तेरा अहसास  
‘भरत’ के घाव खुद-ब-खुद भर जाते…

भरत ९/१२/२०१० नई दिल्ली

एक पत्ता / Ek Pattha

1 टिप्पणी:
तुम confused heart
ऐसे घूम जाते हो
 
मैं
बस देखता रह गया
 
एक पत्ते सा दिल
तुम्हारे पीछे
साथ साथ
दूर तक आया
 
अच्छा किया
तुमने
 
उसे सम्हाल लिया
और
रख दिया
 
किताब में
 
पन्नों के बीच
…………….भरत ९/१२/२०१० नई दिल्ली
 
Tum
Aise Ghoom Jaate Ho
 
Main
Bas Dekhta Rah Gaya
 
Ek Patte Sa Dil
Tumhaare Peechhe
Saath Saath
Door Tak Aaya
 
Achhcha Kiya
Tumne
 
Use Samhaal Liya
Aur
Rakh Diya
 
Kitab Men
 
Pannon Ke Beech
 
…………….Bharat Tiwari 9/12/2010 New Delhi

8/12/10

मेरा किनारा

कोई टिप्पणी नहीं:

‎~~~
तुम्हे मैं अँधेरे में
देख लेता हूँ


वहाँ भी
जहाँ खुद को भी नहीं


अहसास तुम्हारा
अन्दर समा गया है


आँखें तुम्हारी बोलती हैं
बंद हों तो भी


तुम...
तुम मेरा किनारा हो
मेरा खोया हुआ मैं


भरत तिवारी ८/१२/२०१० नई दिल्ली

22/11/10

Kahan Jaaoon ... कहाँ जाऊं ... কহাঁ জাঊং ...

2 टिप्‍पणियां:

कहाँ जाऊं ...

IMG_0340कहाँ से बादल का टुकड़ा आया

कहाँ से दिल को सुकून आया...

 

दिवार घर की बंधी थी पहले

खुली तो नजर आसमां आया ...

 

अभी तो हूँ मैं तेरे हवाले

तुझे ले जाने है अब वो आया ...

 

ये मुस्कराहट भरा सवेरा

उदास चेहरे पे तुझ से आया...

 

भरत की है तू बिटिया रानी

कहाँ वो जाये समझ ना आया ...

भरत २२/११/२०१० १५:२८ कल्याणी

 

 

 

কহাঁ জাঊং ...

 

কহাঁ সে বাদল কা টুকডা আযা

কহাঁ সে দিল কো সুকূন আযা...

 

দিবার ঘর কী বংধী থী পহলে

খুলী তো নজর আসমাং আযা ...

 

অভী তো হূঁ মৈং তেরে হবালে

তুঝে লে জানে হৈ অব বো আযা ...

 

যে মুস্করাহট ভরা সবেরা

উদাস চেহরে পে তুঝ সে আযা...

 

ভরত কী হৈ তূ বিটিযা রানী

কহাঁ বো জাযে সমঝ না আযা ...

 

ভরত ২২/১১/২০১০ ১৫:২৮ কল্যাণী

 

 

Kahan Jaaoon ...

Kahan Se Baadal Ka Tukda Aaya

Kahan Se Dil Ko Sukoon Aaya...

 

Diwar Ghar Ki Bandhi Thi Pahle

Khuli To Nazar Aasmaan Aaya ...

 

Abhi To Hoon Main Tere Hawaale

 Tujhe Le Jaane Hai Ab Wo Aaya ...

 

Ye Muskurahat Bhara Sawera

Udaas Chehare Pe Tujh Se Aaya...

 

Bharat Ki Hai Tuu Bitiya Rani

Kahan Wo Jaaye Samajh Na Aaya ...

 

Bharat 22/10/2010 15:28 Kalyani

17/11/10

dhadkano ke thamne ki gunjaaish धडकनों के थमने की गुंजाइश

2 टिप्‍पणियां:
नमी-ए-सर्द-ए-शाम की गर्माइश
तुझ से दूर होने की अजमाइश...

बेतरतीब कमरों की उदास रातें
अजीब इन सिलवटों की फरमाइश ...

गर्म गली में बच्चों का शोरगुल
ये उम्र उस खुदा की नियाइश * blessing

अँधेरी है शब के चाँद गायब है
है धडकनों के थमने की गुंजाइश...

सुबह आवाज़ दे रही है फिर ‘भरत’
लगा दो दिल-ए-मासूम की नुमाइश ...

© सर्वाधिकारसुरक्षित भरत तिवारी

nami-e-sard-e-shaam ki garmaaish
tujh se door hone ki ajmaaish...


betarteeb kamron ki udaas raaten
ajeeb inn silawaton ki farmaish ..


garm gali men bachchon ka shorgul
ye umr uss khuda ki niyaish * blessing


andheri hai shab ke chaand gaayab hai
hai dhadkano ke thamne ki gunjaaish...


subah aawaaz de rahi hai fir ‘bharat’
laga do dil-e-masoom ki nummaaish ...


© Bharat Tiwari all rights reserved

7/11/10

Maa ! Fir Tyohaar / माँ ! फिर त्यौहार

3 टिप्‍पणियां:
माँ ! फिर त्यौहार
और तुम्हारी याद

कहाँ तो
सामने होती थी
कहाँ अब
तस्वीर बन गयीmaa
कहीं से तो रोको
किसी बात पे तो डांट दो

थोड़ा दुलार
बस बहुत थोड़ा सा

एक बार बस
पुकार दो

बोल दो
कि कहाँ थे
कह दो
कि बड़े हो गए हो अब

कहाँ हो पाया
बड़ा
वैसा ही हूँ
जैसा था

वैसे ही ढूँढता हूँ
अचार की महक
स्कूल से वापस आ के
रोज़ ब रोज़
©  भरत तिवारी सर्वाधिकार सुरक्षित
 
 
Maa ! Fir Tyohaar
Aur Tumhari Yaad


Kahan To
Saamane Hoti Thi
Kahan Ab
Tasveer Ban Gayi


Kahin Se To Roko
Kisi Baat Pe To Daant Do


Thoda Dular
Bas Bahut Thoda Sa


Ek Baar Bas
Pukar Do


Bol Do
Ki Kahan The
Kah Do
Ki Bade Ho Ge Ho Ab


Kahan Ho Paaya
Bada
Waisa Hi Hoon
Jaisa Tha


Waise Hi Dhoondhata Hoon
Achaar Ki Mahak
School Se Wapas Aa Ke
Roz B Roz

© Bharat Tiwari All rights reserved

21/10/10

मेरे साथ कहाँ था

3 टिप्‍पणियां:

जहाँ मैं

उदास हुआ था

तू

साथ कहाँ था …

 

माला की

मोतियों में

तेरा नाम

क्यों 

लिखा था…

 

घंटियाँ

खनकी मंदिर की 

तेरा नाम

गूँजता था …

 

जमीं में

उगी है

मिट्टी

सोंधा सा

मैं हुआ था …

 

एक

नया सा

चाँद देखा

या

नकाब वो हटा था …

 

कहीं

कुछ

दब सा रहा है

कही

तू जुदा

हुआ था …

 

भरत ००:०० २२/१०/२०१० 

tumhaare sang hoon main / तुम्हारे संग हूँ मैं

कोई टिप्पणी नहीं:

Bitiya-Tumhare Sang hoon main

बिटिया

तुम्हे हँसने के लिये बनाया है सृष्टि ने

 

उदासी से दूर

दुखों से परे

प्यार की परछाईं तले

 

बिटिया

भेड़ियों की प्रजाति को खत्म करना

मेरा ही काम है

 

बिटिया

कोई अकेला नहीं सब अकेले होते हैं

ब्रह्मांड सब में है

ब्रह्मांड में सब

 

बिटिया

तुम निर्भय हो के चलो

सृष्टि में

तुम्हारे संग हूँ मैं एक पिता.

 

 

bitiya

tumhe hansne ke liye banaya hai srishti ne

udaasi se door

dukhon se pare

pyar ki parachhain tale

 

bitiya

bhediyon ki prajati ko khatm karana

mera hi kaam hai

 

bitiya

koi akela nahin sab akele hote hain

brahmaand sab men hai

brahmaand men sab

 

bitiya

tum nirbhaya ho ke chalo

srishti men

tumhaare sang hoon main ek pita.

17/10/10

मनाओ विजयदशमी

कोई टिप्पणी नहीं:

माँ ने महिषासुर हरा

श्रीराम ने रावण वधा

रावण मृत्युलोक में

मनाओ विजयदशमी

16/10/10

Suun Tu Meri Ruuh Men Basa Jata Hai सुन तू मेरी रूह में बसा जाता है

कोई टिप्पणी नहीं:

suun tu meri ruh mein

सुन तू मेरी रूह में बसा जाता है
बखूब मेरे ज़हन में बसा जाता है

तकरार तेरी ना हो तो क्या हो
प्यार से प्यार तू ही कर पाता है

सौंपी तेरे हाँथों में हर डोर अपनी
मेरी खुशियों की पतंग तू उड़ाता है

तू है तो मंजिल नज़र के सामने
हर रास्ता दिल को तेरे जाता है

तू मुस्कुरा दे मेरे एक अशार पे
खुद ब खुद शेर ग़ज़ल बन जाता है

भरत के सारे हर्फ़ तुझ पे कुर्बान
तू मेरी किताब-ए-ज़िंदगी सजाता है

भरत ००:११ १६/१०/२०१० नई दिल्ली

Suun Tu Meri Ruuh Men Basa Jata Hai
Bakhoob Mere Zahan Men Basa Jata Hai

Takraar Teri Na Ho To Kya Ho
Pyar Se Pyar Tu Hi Kar Paata Hai

Saunpii Tere Haanthon Men Har Dor Apni
Meri Khushiyon Ki Patang Tu Udata Hai

Tu Hai To Manzil Nazar Ke Saamne
Har Raasta Dil Ko Tere Jata Hai

Tu Muskura De Mere Ek Ashaar Pe
Khud B Khud Sher Gazal Ban Jata Hai

Bharat Ke Saare Harf Tujh Pe Kurbaan
Tu Meri Kitab-E-Zaindagi Sajata Hai

Bharat 00:11 16/10/2010 New Delhi

15/10/10

Izhaar-E-Ishq Karne Ki Soch

कोई टिप्पणी नहीं:

Izhaar-e-Isq Karne Ki Sonch

इज़हार-ए-इश्क करने की सोच
भरत २०:४६ १४/१०/२०१० नई दिल्ली

इज़हार-ए-इश्क करने की सोच
इबादत-ए-इश्क करने की सोच


कब है अलग खुदा इश्क से
उम्र साथ बसर करने की सोच


वक्त रुकता है दर-ए-यार पर
घर उसके दुआ करने की सोच


निगाहों से वो करम बरसाता है
उस से आँखें चार करने की सोच


जो देता है ये बे-इंतेहा खुशियाँ
तू उसको खुश करने की सोच


बड़ी है तेज रफ़्तार-ए-उम्र ‘भरत’
सफ़र साथ तय करने की सोच

Izhaar-E-Ishq Karne Ki Soch
Bharat 20:46 14/10/2010 New Delhi

Izhaar-E-Ishq Karne Ki Soch
Ibadat-E-Ishq Karne Ki Soch


Kab Hai Alag Khuda Ishq Se
Umr Saath Basar Karne Ki Soch


Waqt Rukta Hai Dar-E-Yaar Par
Ghar Usske Dua Karne Ki Soch


Nigahon Se Wo Karam Barsaata Hai
Uss Sey Aankhen Chaar Karne Ki Soch


Jo Deta Hai Ye Be-Inteha Khushiyaan
Tu Ussko Khush Karne Ki Soch


Badi Hai Tez Rafatar-E-Umr ‘Bharat’
Safar Saath Taya Karne Ki Soch

13/10/10

याद मिटा दूँगा yaad mita doonga

3 टिप्‍पणियां:

Vincent Van Gogh - Olive Trees With Yellow Sky And Sun 

Vincent Van Gogh - Olive Trees With Yellow Sky And Sun

बीती रात

इक ख्वाब टूटा था

सहमा हूँ

शाम होने को है

 

घर को दस्तक

ना दे

नाम दरवाजे से हटा दो

 

तस्वीरें जलानी है

हर तरफ़ पुर्ज़े पड़े हैं

चेहरे हों या हर्फ़

धुंध छानी ही थी

 

भूलने को उम्र पड़ी है

याद मिटा दूँगा

एक दिन

 

ख्वाबों में बसा नहीं करता

सामने आइना रखा है मेरे

तोड़ के अपनी तस्वीर

तू खुद से कहाँ भागेगा

परछाईं जाती नहीं

अमावस आती नहीं

पूरे चाँद की रात

हमेशा चांदनी देती नहीं

 

जो डूबेगा सूरज

पहाड़ियों के दरख्त के पीछे

मकान तुझे दिख जायेगा

घर नज़र ना आयेगा

तेरा घर नज़र ना आयेगा

beeti raat

ik khwab toota tha

sahama hoon

shaam hone ko hai

 

ghar ko dastak

na de

naam darawaaje se hata do

 

tasweeren jalaani hain

har taraf purze pade hain

chehre hon ya harf

dhundh chhani hi thi

 

bhoolne ko umr padi hai

yaad mita doonga

ek din

 

khwaabon men basa nahin karta

saamane aaina rakha hai mere

tod ke apani tasweer

tuu khud se kahan bhagega

parachhain jaati nahin

amaawas aati nahin

poore chaand ki rat

hamesha chaandni deti nahin

 

jo doobega sooraj

pahadiyon ke darakht ke peechhe

makaan tujhe dikh jayega

ghar nazar na aayega

tera ghar nazar na aayega

11/10/10

Jo Uss Khuda Ne Tay Kiya Hoga / जो उस खुदा ने तय किया होगा

5 टिप्‍पणियां:

Jo Uss Khuda Ne Tay Kiya Hoga / जो उस खुदा ने तय किया होगा

Yellow Red Blue, a painting by Wassily Kandinsky

जो उस खुदा ने तय किया होगा

तेरी किस्मत में बस वही होगा

 

दिल की पुकार जाती है वहाँ तक

सवाल तो कर जवाब सही होगा...

 

तू उसकी रहमत पे भरम ना रख

उसकी झोली में तेरा ख्वाब ही होगा ...

 

कब आ जाये तेरे दर, क्या मालुम

रूह को साफ़ रख घर वही होगा ...

 

  तेरी मंज़िल कभी मुश्किल नहीं

राह में वो खुद तेरा हमराही होगा

 

लखीर-ए-पेशानी किस्मत-ए-भरत

परेशान होने से कुछ नहीं होगा

 

 

भरत तिवारी  ११/१०/२०१० नई दिल्ली

Jo Uss Khuda Ne Tay Kiya Hoga

Teri Kismat Men Bas Wahi Hoga

 

Dil Ki Pukar Jaati Hai Wahan Tak

Sawal Toh Kar Jawab Sahi Hoga...

 

Too Uss’ki Rehmat Pe Bhram Na Rakh

Usski Jholi Men Tera Khwab Hi Hoga ...

 

Kab Aa Jaaye Tere Dar, Kya Maalum

Ruh Ko Saaf Rakh Ghar Wahi Hoga ...

 

Teri Manzil Kabhi Mushkil Nahin

Raah Men Wo Khud Tera Hamrahi Hoga

 

Lakheer-E-Peshani Kismat-E-Bharat

Pareshaan Hone Se Kuch Nahin hoga

 

 

Bharat Tiwari  11/10/2010  New Delhi

10/10/10

महफ़िल को शमा दिखाओ तो क्या Mehafil Ko Shama Dikhao To Kya

कोई टिप्पणी नहीं:
The-Four-Seasons-Spring 

महफ़िल को शमा दिखाओ तो क्या

अब कोई कमाल दिखाओ तो क्या

 

तूफ़ान था, गया साथ हवाओं के

उसे हुस्न के जलवे दिखाओ तो क्या

 

तेरे होने से आँगन आँगन था

धूल अब लाख हटाओ तो क्या

 


मेरे पास चंद अशार है

तेरे साथ रंग-ओ-खुमार है  

दौलत पे जो मर जाओ तो क्या

 

कब कदर की जज़्बे की तूने

नज़रों को तेरी फुरसत थी कहाँ

रूह जो मर के भी है प्यासी 

अब कब्र पे दिये जलाओ तो क्या

 


हाल-ए-दिल भरत बयान करता है

समझ के भी न समझ पाओ तो क्या

Mehafil Ko Shama Dikhao To Kya

Ab Koi Kamaal Dikhao To Kya

 

Toofaan Tha, Gaya Saath Hawaaon Ke

Usse Husn Ke Jalave Dikhao To Kya

 

Tere Hone Se Aangan Aangan Tha

Dhool Ab Lakh Hatao To Kya

 

Mere Paas Chand Ashar Hai

Tere Saath Rang-O-Khumar Hai

Daulat Pe Jo Mar Jaao To Kya

 

Kab Kadar Ki Jazabe Ki Tuune

Nazaron Ko Teri Furasat Thi Kahan

Ruuh Jo Mar Ke Bhi Pyasi Hai

Ab Kabr Pe Diye Jalao To Kya

 

Haal-E-Dil ‘Bharat’ Bayan Karta Hai

Samajh Ke Bhi Na Samajh Paao To Kya

………………………………Bharat Tiwari / New Delhi 10/10/10

9/10/10

हमें अरसे से इंतेज़ार-ए-दीदार / Hamen arse se inteazaar-e-deedar

3 टिप्‍पणियां:

हमें अरसे से इंतेज़ार-ए-दीदार
तू देख तो अर्जी मेरी एक बार


तू जाने क्या है फ़िदा हूँ तुझ पे
उतरा है मेरी रूह में हर एक बार


कभी आँखों के समंदर में उतारो
दिखा दो इश्क की गहराई एक बार


मेरी रंगत तेरे नूर की बदौलत है
तू हो कर रह मुझमे बस एक बार


तुझे समझना है मक्सद-ए-उम्र मेरी
कम से कम पलक तो उठा एक बार


मेरे नाम की लखीर है तेरी हंथेली पे
दिखेगा भरत तू जोड़ उन्हें एक बार

 

Hamen arse se inteazaar-e-deedar
tu dekh to arzi meri ek baar


tu jaane kya hai fida hoon tujh pe
utra hai meri ruuh main har ek baar


kabhi aankhon ke samandar me utaro
dikha do ishq ki gahrai hamen bhi ek baar


meri rangat tere noor ki badaulat hai
tu ho kar rah mujhmen bas ek baar


tujhe samajhna hai maqsad-e-umr
kam se kam palak to utha ek baar


mere naam ki lakheer hai teri hatheli pe
dikhega bharat to jod unhe ek baar

bharat 6:21 9/10/2010 new delhi

8/10/10

कारक

2 टिप्‍पणियां:

असल माँ

अंदर होती है

खैर

आसन नहीं है उसको देख पाना

वैसे भी

कोशिश ही कब करी

 

 

माँ लाल नहीं होती

माँ के लाल होते हैं

और कोई रंग माँ का

रंग तो माँ का जी नहीं हो सकता

पानी होती है

अंदर तक हमारे

 

 

जब आये थे तो भी

जब जाओगे तो भी

माँ रहेगी हमेशा

वो किसी के होने से नहीं है

उसके होने से ही...

ये सब जो घूम रहा है ,

वो घूम रहा है

कारक ...

 

 

उसके होने से ही था, है

और रहेगा अनंतकाल तक

ना जब कुछ था तो माँ थी

कुछ ना होगा तो भी होगी...

 

 

भरत २१:०२ ७/१०/२०१०

3/10/10

हम तो तब ही रंग गए थे / Hum to tab hi rang gaye the

2 टिप्‍पणियां:

हम तो तब ही रंग गए थे

जब मैं से हम हुए थे...

इश्क का ख्वाब देखा

फिर कहाँ हम हुए थे ...

प्यास से मोहब्बत

बे-अब जो हम हुए थे ...

वो गरीब शहर अजीब था

जहाँ दुनिया के हम हुए थे ...

आँख लगती नहीं ‘भरत’ की

किस नज़र से जुदा हम हुए थे...

 

*बे-अब = बिना पानी के

भरत तिवारी `१६:४२ ०३/१०/२०१० नई दिल्ली

 

bharat tiwari writer ghazal

Hum to tab hi rang gaye the

Jab main se hum huey the...

 

Ishq ka khwab dekha

Fir kahan hum huey the ...

 

Pyas sey mohabbat

Be-ab jo hum huey the ...

 

Wo gareeb shahar ajeeb tha

Jahan duniya ke hum huey the ...

 

Aankh lagti nahin ‘bharat’ ki

Kis nazar se juda hum huey the...

 

*Be-ab = Without water

Bharat Tiwari 16:42 03/10/2010 New Delhi

1/10/10

अब ना ज्यादा सोंचो / Ab na jyada soncho

कोई टिप्पणी नहीं:
अब ना ज्यादा सोंचो
के अब चैन से जी लो...
हवा का मिजाज़ है खुश
सुबह के परिंदों से जी लो ...
गयी वो जागती रातें
चादर तान के सो लो ...
है मोहल्ला ये तुम्हारा ही
पड़ोसी से भी जा मिल लो..
तुम्हे सुबह सजानी है
चाय कड़क सी एक पी लो ..
भरत है आज खुश मालिक
जो जी चाहे आज ले लो ...

भरत ७:४५ १/१०/२०१०

Ab na jyada soncho
Ke ab
Chain se jee lo...

Hawa ka mizaaz hai khush
Subah ke parindon se jee lo ...

Gayi wo jaagti raaten
Chaadar taan ke so lo ...

Hai mohalla
Ye tumhara hii
Padosi se bhi ja mil lo..

Tumhe subah sajaani hai 
Chaay kadak si ek pi lo  .. 

Bharat hai aaj khush malik
Jo ji chahe
Aaj le lo ..

Bharat Tiwari
7:45 1/10/2010

29/9/10

aisi raaten kyon banate hain aap / ऐसी रातें क्यों बनाते हैं आप

1 टिप्पणी:
ऐसी रातें क्यों बनाते हैं आप
दहशत दिलों की बढ़ाते हैं आप ...
 
रंग खून का जुदा क्यों न किया ?
एक सा बना के लड़ाते हैं आप ...
 
अब के यों चुपचाप ना देखना
मैं देखूँगा क्या कमाल दिखाते हैं आप ...
 
क्यों बेहूदों को ताकत दे डाली
इंसानों को कैसे भूल जाते हैं आप ...
 
ओ सुबह सुनहरी बनाने वाले
क्यों इसे लाल बनाते हैं आप...  
 
दो वक्त की रोटी तो मिलती नहीं 
जलते चूल्हों को बुझाते हैं आप ...
 
‘भरत’ ना देखेगा नकली दुनिया
असली चेहरा क्यों छुपाते हैं आप ...
 
भरत तिवारी
२२:३८
२९/०९/२०१०
नई दिल्ली
 
aisi raaten kyon banate hain aap
dahashat dilon ki badhaate hain aap ...
 
rang khoon ka juda kyon na kiya ?
ek sa bana ke ladaate hain aap ...
 
ab ke yon chup chaap na dekhna
main dekhoonga kya kamaal dikhate hain aap ...
 
kyon behoodon ko taakat de dali
insanon ko kaise bhool jaate hain aap ...
 
o subah sunahari banane waale
kyon isey lal banate hain aap...
 
do waqt ki roti toh milti nahin
jalte choolhon ko bujhate hain aap ...
 
‘bharat’ na dekhega nakli duniya
asali chehra kyon chhupaate hain aap ...
 
Bharat Tiwari
22:38
29/09/2010
New Delhi
http://www.facebook.com/note.php?note_id=442005466362

28/9/10

सम्पूर्णता के लिये…

2 टिप्‍पणियां:

परिधि थी

अब क्यों तोड़ी ये मसला है

वैसे देखा जाये तो

कहाँ कोई मानता है आज कल

आज कल

परिधि को लांघना ही फैशन

तोडें क्यों

चित भी और पट भी

तोड़ने में दोनों मिलते नहीं

लांघो और

सहूलियत देखी

तो वापस

खामियाज़ा भुगतने के समय

खामियाज़ा माँग लो

उल्टी गंगा

ज्यादा नहीं बह सकती

बह ही नहीं सकती

वैसे दुनिया भी बीसियों हैं

और सब की अपनी अपनी नियमावली

सब अपने में बड़ी बड़ी

इधर वाला उधर जाने को आतुर

लांघा तो इधर से गया

उधर का पता नहीं

ऊँची वाली दुनिया नीची

नीची वाली ऊँची

उसके लिये वो

इसके लिये ये

बांधो

थोड़ा सा

संकीर्णता के लिये नहीं

सम्पूर्णता के लिये

अगली पीढ़ी का

सोंच लो

अपना ही सोंच लो कम से कम

 

 

भरत तिवारी

००:५५ २८/०९/२०१०

नयी दिल्ली

 
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26/9/10

थोड़ा धीरे बड़ी हो…Thōdā dhīrē badī hō...

10 टिप्‍पणियां:
स्तुति , ज्योत्सनिका , आरुशी, भरत तिवारी Stuti Jyotsnika Aarushi Bharat Tiwari



jeene ki wajah talash raha hoon main / जीने की वज़ह तलाश रहा हूँ मैं

2 टिप्‍पणियां:

Bharat Tiwari Dastakkar Writer, Lyrics, Lyricist

.

जीने की वज़ह तलाश रहा हूँ मैं

तेरी आँखों में तभी तो देख रहा हूँ मैं

 

एक सियाह रात सा दिल

चिराग तुझ से कर रहा हूँ मैं

 

तमन्ना को लगे हैं पंख नये

देख, छत उसकी जा रहा हूँ मैं

 

तूफानों से दोस्ती है बहुत पुरानी

जुल्फ-ए-यार के साये में रहा हूँ मैं

 

‘भरत ‘ सुबहों के वो उजाले गए कहाँ

बाम का सूना नशेमन देख रहा हूँ मैं

 

भरत तिवारी

 

 

jeene ki wajah talash raha hoon main

teri aankhon men tabhi to dekh raha hoon main

 

ek siyah raat sa dil

chiraag tujh se kar raha hoon main

 

tamanna ko lage hain pankh naye

dekh, chhat usski ja raha hoon main

 

toofanon se dosti hai bahut purani

zulf-e-yaar ke saaye men raha hoon main

 

‘bharat ‘ subahon ke wo ujaale gaye kahan

baam ka soona nasheman dekh raha hoon main

with love Bharat Tiwari…

17/9/10

सफ़र शुरू

1 टिप्पणी:

hindi kavita safar shuru ... bharat tiwari dastakaar delhi, india, faizabad

बड़े दिनों से टाल रहा था

शायद...

जब से होश सम्हाला

उसने कोशिश की , बहुत कोशिश की

फितरत

संगत

काहिलपन

या शायद हिम्मत की कमी ...

यही लगता है

इतना कुछ था उसके पास

ज्ञान की सारी जानकारी

हिम्मत की कमी...

आड़े आती रही

मान ही लिया ना कि कमी थी ...

कभी दो – चार बातें बताई उसने

तो

डर गए , सच हमेशा नहीं जीत पाता

वही... हिम्मत की कमी

बैठी रही जमा के आसन लेकिन

दो दो चार चार करके इकट्ठा

और अब जब आसन खुला

सब भेद खुलने शुरू

ज्ञान का गोमुख दिखा

एक पतली धार है अभी तो

हिम्मत भी खुली है कुछ

अब सागर को होना है

सफ़र शुरू ...

....भरत १७/०९/२०१० – ००:४८

16/9/10

है !

1 टिप्पणी:

क्या खोजना उसे ?

अंतर्मन में दिख जाता है

नशे की दुनिया में ना तलाशो

मिट्टी की सोने की प्रतिमा में ?

है ! धुल के उस कड़ में..

दिखता है नाचता हुआ

अँधेरे कमरे में भी

झरोके से आती धूप की रेखा में

है ! उसकी आँख में

जो कुछ नहीं माँगती

फिर भी तुम मिला नहीं पाते.

बंद आँखों के अँधेरे में

जरा गहरे जाओ

अंत में आता उजाला...है !

उँगलियाँ थिरका रहा है

दिमाग ?

तुम चला रहे हो ?

मत जाओ वापस नशे में

वहाँ वो नहीं मिलता.

सामने देखो

है ?

है ना …..

 

भरत तिवारी १६/०९/२०१० – ८:०१

नई दिल्ली

14/9/10

उसे हिन्दी पर ही मोह आता है … #हिन्दी_में_बोलो #हिंदी_दिवस

6 टिप्‍पणियां:
hindi Divas हिन्दी दिवस २०१० 2010 bharat tiwari dastakar

आज 
उधार उतारने जाता  हूँ
हिन्दी में 
बात बताता हूँ

देखूँ तो 
दूंढूं उन्हें
वो पत्र 
दीदी के लिखे 
हिन्दी के शब्दों में घुली
ममता से डूबी वो पंक्ति
“आशीर्वाद मेरा घर में देना “
आशीर्वाद वो लेने जाता हूँ …

प्यार वो मिलता नहीं
मिठास वो आती नहीं 
कुछ समझ भी आती नहीं
असत्य है ये बात 
कि भाषा से का प्रभाव नहीं पड़ता
जो सम्मान प्रणाम से होता है
वो रिगार्ड्स में दिखता नहीं 
  
माँ जी गयी जब छोड़ कर
साथ गया समाचार पत्र
अब कहीं अगर दिख जाये तो 
उसमे विज्ञापन चिल्लाता है 
“.. तीस दिन में अंग्रेज़ी सीखें"
खूब मजाक उड़ाता है


गाने गाओ हिन्दी केऔर नाच करो अंग्रेज़ी के
फिल्मे देखो हिन्दी की
और बात करो हालीवुड की…
  
क्यों दोगलापन ये आता है ?
यहाँ कौन किसे झुठलाता है ?
ये कहाँ सिखाया जाता है ?
 अपने में झाँक के देखा तो 
दोषी अंदर मुस्काता है 


हिन्दी सुन परदेश में वो 
मगन क्यों हो जाता है
अपने दिल से पूछो तो तुम 

उसे हिन्दी पर मोह आता है
उसे हिन्दी पर मोह आता है

भरत तिवारी , नई दिल्ली , १४/०९/२०१०

10/9/10

एल्बम गाँव से पुराना आया / Album gaanv se purana aaya

2 टिप्‍पणियां:

एल्बम गाँव से पुराना आया
आज फिर दोस्त पुराना आया…
तू आज जो नज़र आया
जिगर में वही दर्द आया…
मैं वही सन्न पड़ा हूँ अब भी
जहाँ ठहरा के तू छोड़ आया…
मेरे पास तेरी तस्वीर नहीं
मेरे पास ये जागीर नहीं…
मैं अपने बटुए को आज
नदी को सौंप आया…
कुआँ प्यासे के पास जाता नहीं
भरत के घर तू कैसे आया…
 
भरत तिवारी १०/०९/२०१० – ००:३४
Album gaanv se purana aaya
Aaj fir dost purana aaya…
Tu aaj jo nazar aaya
Jigar men vahi dard aaya…
Main wahi sann pada hoon ab bhi
Jahan thahara ke tu chhod aaya…
Mere paas teri tasveer nahin
Mere paas ye jagir nahin…
Main apane batue ko aaj
Nadi ko saunp aaya…
Kuaan pyase ke paas jata nahin
Bharat ke ghar tu kaise aaya…
 
Bharat tiwari 10/09/2010 - 00:34
Álbum de fotos antiguas del pueblo llegó
Y el dia de hoy mi vieja amiga llegó…
Hoy cuando llego
La misma angustia a mi corazon llego…
Como si en el dolor me dejara tumbado
Donde me dijo que la esperara pero nunca llego…
Yo no tengo tu fotografia
Entrego hoy mi monedero
no tengo esa riqueza
El rio y ella llego
Al pozo nunca vaya a beber
Como a la casa de bharat llego…


5/9/10

The Mall

कोई टिप्पणी नहीं:

 

He could see that they were not wearing the same kind of attire that he was wearing.His was ironed by mom, a shirt with crease intact neatly tugged in his pants.

Made him think, how come they are wearing these torn pants and still getting all the attention.

The mall was full of these people wearing costumes that look so unpleasant to him but there were a few who were sporting the dresses similar to his, they are so like me Rajiv thought.

bharat tiwari dastakaar writer short story mall Next moment his mind swing back and said, “Why are they so silent and sitting as if they are afraid.” He could not reply to his brain. He thought am I afraid too? Cause he too was having some strange feeling. Let’s go home he thought.

On his way back he was thinking these places are for those people not for him and he wondered how they can wear those dresses.

Unknowingly he touched his hair and felt relaxed they were neatly combed not like they had, he was now realising they had some difficult hair style too.

“I am not going to go there again”, he uttered, and “I can't have uncombed hair like them” Rajiv’s was walking fast now enjoying his own whistling.

He could feel that he is no longer afraid. 

 

 

Bharat Tiwari

5/9/2010

New Delhi

 

image taken from www.aksesbisnis.com

4/9/10

असल चेहरा / Asal Chehra

कोई टिप्पणी नहीं:
बता तेरे ही बंदे तेरे क्यों कई नाम कहते हैं ?तेरी उल्फत, के ये मुझको दीवाना कहते हैं 
क्यों बता तुझे ये रहीम-ओ-राम कहते हैं ?करके टुकड़े तेरे, देख मज़हब नाम कहते हैं 
तू जिस दुनिया में गुम जी रहा है गुरूर में...   तुझे मालूम नहीं इसी को दोज़ख कहते हैं ...
जिसकी हस्ती पे भी ऊँगली उठा रहा है तू    घर उसी का है ये, कागज़ तेरा कहते हैं  
बाहर तो निकल ख्वाबों की उस दुनिया से..तुझे सब में वो दिखेगा जिसे खुदा कहते है... 
आईने तोड़ के जरा खुद में झांकेगा कभी ?...जो असल चेहरा है उसको ही रूह कहते हैं...
रब है मिट्टी, रब है सोना, रब है तेरा होना ...जो बना दे मिट्टी को सोना उसे रब कहते है      bharat 24/8/2010

2/9/10

गुनाहों की तलाश

कोई टिप्पणी नहीं:

निकला हूँ गुनाहों,

मैं आज तेरी तलाश में …

तमाम पत्थर भी आये है,

मेरी तलाश में …

 

जिसे कभी कहीं,

देखा ना सुना आज तक…

खबर है आज-कल,

वो हैं मेरी तलाश में…

….

भरत २/९/२०१० १५:००

 

Nikla hoo’n gunaho’n,

main aaj teri talaash mai’n…

tamam pathar bhi aaye hain,

meri talaash mein

 

jise kabhi kahin,

dekha na suna aaj tak…

khabar hai aaj-kal

wo hain meri talash mai’n

bharat tiwari 2/9/2010 15:00

 

कृष्ण कौन हैं / Krishna Kaun Hai'n / Who is Krishna

कोई टिप्पणी नहीं:
who is krishna... by bharat tiwari
कृष्ण कौन हैं
जो हम और आप हैं
बस साफ़ हों
 
भरत तिवारी २/९/२०१०
जन्माष्टमी 
 
Krishna  Kaun  Hai'n
Jo  Hum  Hai'n  Aur  Aap  Hai'n
Bus  Saaf  Ho'n
 
bharat tiwari 2/9/2010
Janmashtmi

Who is Krishna
It’s you and it’s me
Must be Pious 
 
bharat tiwari



1/9/10

कोई टिप्पणी नहीं:

har shakhs ko maaf kare jaa raha hoon... 

ke jisne bhi mera dil dukhaya ho...

हर शख्स को माफ करे जा रहा हूँ...
के जिसने भी मेरा दिल दुखाया हो 


aapka bharat tiwari 

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दिल में बसा हूँ तेरे ,दस्तक नहीं देता...
धडकन बन खून को हूँ रवानगी देता...
dil me'n basa hoon tere, dastak nahi'n deta...
dhad'kan ba'n khoo'n ko, hoo'n rawangi deta ...

31/8/10

चाय भी ठंडी हो गयी

कोई टिप्पणी नहीं:
उसको आखिर पैसों की उतनी चिन्ता क्यों नहीं रहती ? मैं देख रहा था की वो मन से अपना काम करे जा रही थी . सुबह सुबह रोज , अपने घर को छोड़ के किसी और के घर को देखना , सम्हालना , मुश्किल होता होगा . लेकिन उसको देख के नहीं लगता .
उसको शायद पैसों की उतनी चिन्ता इस लिए नहीं होती होगी क्योंकी सारी तो हम कर लेते हैं , सोंचती होगी जरूर क्योंकि जब वो मेरे कमरे में सफाई करने आती है तो कभी - कभी , मेरा मूड देख के कहती है , "अरे भईया आप आराम भी कर लिया करो कभी , हर समय इस लैइपताप में का बनाते रहते हो ? " और कभी जब देखती है की चाय वैसी ही रखी है तो "... देखिये चाय भी ठंडी हो गयी ... हाँ नहीं तो "
इस से ज्यादा नही कह पाती , के कहीं मैं गुस्सा ना हो जाऊं या फिर शायद नौकरी ना चली जाये... उसको भी शायद पैसों की चिन्ता हो जाती होगी
भरत
३१/०८/२०१०
१०:२५

30/8/10

Rooh ke Gahne रूह के गहने

9 टिप्‍पणियां:

तुम्हें मालूम नहीं क्या काम किया है तुमने

कर दिया खुद को जो है उसके हवाले तुमने

 

अब भला क्यों थाम के बैठूँ दिल को अपने

सौंपा है उसको ही पहनाया ये चोला जिसने

 

जाओ बेफिक्र हो जहाँ भी तुझको अब है जाना

उसकी चाहत है जो पहरा उसके क्या कहने..

 

ज़िंदगी अब खुद-ब-खुद बा मायने भी होगी

अब उसके करम के ज़र्रे हैं ,तेरी रूह के गहने

 

तुम उसको इश्क कहो या कहो खुदा अपना

लिखना माथे पे जो था, लिख दिया है उसने

 

बात बे-साज़ की और लकीरें तेरी पेशानी पर

बता तुझ जैसे भरत उसके आशिक़ कितने ?

 

…भरत तिवारी / नई दिल्ली / ३०/०८/२०१०

 

tumhen mālūm nahin kya kaam kiya hai tum’ne

kar diya ḵẖud ko jo hai us’ke ḥawāle tum’ne

 

ab bhala kyon thām ke baith’oon dil ko ap’ne

saunpa hai us’ko hi pah’naya ye chola jis’ne

 

jaao be-fika ho jahan bhi tujhako ab hai jana

us’ki cha’hat hai jo pah’ra us’ke kya kah’ne

 

zindagi ab khud-b-khud ba maay’ne bhi hogi

ab us’ke karam ke zarre hain ,teri ruuh ke gah’ne

 

tum us’ko ishq kaho ya kaho khuda ap’na

likh’na maa’the pe jo tha, likh diya hai us’ne

 

baat be-saaz ki aur lakeer’en teri pesha’ni par

bata tujh jaise bharat us’ke aashiq kit’ne ?

 

… bharat tiwari / new delhi / 30/08/2010

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