कुछ घोड़े लंबी दौड़ के हो जाते हैं बाकी ... कुछ लोग समय से आगे के होते हैं बाकी... कुछ संगीत आने वाले कल का होता हैं बाकी... कुछ रचनायें आज को कहती हैं बाकी ... | Kuch ghode lambi dhoud ke ho jaate hain Baaki … Kuch log samay kea age ke hote hain Baaki … Kuch sangeet aane wale kal ka hota hai Baaki … Kuch rachnayen aaj ko kahti hain Baaki … |
“ये” लेबल लगाने वाले आज के होते हैं | “Ye” label lagane wale aaj ke hote hain |
बाकी बच गये “सब” पुराने वो, जो इन के अलावा “सब-कुछ” जानते हैं | Baaki bach gaye “sab” purane Wo, jo in ke alawa “sab-kuch” jaante hain |
इनको कोई श्रेणी नहीं मिलती हम भी उसी में हैं बाकियों में ... बकरी की माँ जैसे ! | Inko koi shreni nahin milti Hum bhi ussi men hain Bakiyon men … Bakri ki maa jaise ! |
भरत तिवारी २४.०४.२०१२, नई दिल्ली | Bharat Tiwari 24.04.2012, New Delhi |
24/4/12
Hum bhi ussi men hain हम भी उसी में हैं
at
10:49 pm
14/4/12
Itne arse baad mile ho / इतने अर्से बाद मिले हो
इतने अर्से बाद मिले हो
कहाँ थे तुम
तन्हा यहाँ छोड़ के मुझको
कहाँ थे तुम...
कितने खत भेजे मैंने
कितने टेलीफोन किये
कितनी माँगी मन्नतें
कितने हम बेचैन रहे
एक झलक की खातिर
पहरों पहर खड़े रहे...
दिन रातों मे रहे बदलते
और महीने सालों मे...
चढ़ता गया उम्र का पारा
याद का तेरी लिये सहारा
धूप बन गई अब जब धुंध
तब आये हो मिलने तुम
तन्हा यहाँ छोड़ के मुझको
कहाँ थे तुम...
इतने अर्से बाद मिले हो
कहाँ थे तुम ....
Itne arse baad mile ho
Kahan the tum
Tanha yahan chhhod le mujhko
Kahan the tum
Kitne khat bheje maine
Kitne telephone kiye
Kitni maangin man’naten
Kitne hum bechain rahe
Ek jhalak ki khatir
Paron pahar khade rahe….
Din raaton me rahe badalte
Aur maheene saalon me…
Chaddta gaya umr ka paara
Yaad ka teri liye sahara
Dhoop ban gayi ab jab dhoondh
Tab aaye ho milne tum
Tanha yahan chhhod le mujhko
Kahan the tum
Itne arse baad mile ho
Kahan the tum
कहाँ थे तुम
तन्हा यहाँ छोड़ के मुझको
कहाँ थे तुम...
कितने खत भेजे मैंने
कितने टेलीफोन किये
कितनी माँगी मन्नतें
कितने हम बेचैन रहे
एक झलक की खातिर
पहरों पहर खड़े रहे...
दिन रातों मे रहे बदलते
और महीने सालों मे...
चढ़ता गया उम्र का पारा
याद का तेरी लिये सहारा
धूप बन गई अब जब धुंध
तब आये हो मिलने तुम
तन्हा यहाँ छोड़ के मुझको
कहाँ थे तुम...
इतने अर्से बाद मिले हो
कहाँ थे तुम ....
Itne arse baad mile ho
Kahan the tum
Tanha yahan chhhod le mujhko
Kahan the tum
Kitne khat bheje maine
Kitne telephone kiye
Kitni maangin man’naten
Kitne hum bechain rahe
Ek jhalak ki khatir
Paron pahar khade rahe….
Din raaton me rahe badalte
Aur maheene saalon me…
Chaddta gaya umr ka paara
Yaad ka teri liye sahara
Dhoop ban gayi ab jab dhoondh
Tab aaye ho milne tum
Tanha yahan chhhod le mujhko
Kahan the tum
Itne arse baad mile ho
Kahan the tum
at
7:25 am
8/4/12
मोड़ आता है मुश्किलों का सिखाने के लिये Modd aata hai mushkilon ka sikhane ke liye / موڑ آتا ہے مشکلوں کا سکھانے کے لئے
मोड़ आता है मुश्किलों का सिखाने के लिये
दौर ये होता है हिम्मत को बढ़ाने के लिये ...
घर की दीवार तोड़ोगे तो भीड़ लग जायेगी
ना आयेगा कोई इक भी ईंट लगाने के लिये
जाँ ये छोटी है दोस्ती ईमान ओ वफ़ा से
फलसफा याद ये रखना सर उठाने के लिये ...
भूख थोड़ी तुम बचा कर ज़रूर ही रखना
हाथ से माँ के इक निवाला खाने के लिये....
धुआँ कर डालेगी आब-ए जिस्म ये शराब
लब-ए साकी है ज़रुरी जाँ बचाने के लिये ...
जब वो दिन आये तुझे पँख लगा दे मौला
ना काटना कोई शज़र ऊँची उड़ानों के लिये ...
खिड़कियाँ खुली हों और हवाओं से हो यारी
राज़ को पर्दों में रखना ‘भरत’ छुपाने के लिये
موڑ آتا ہے مشکلوں کا سکھانے کے لئے
دور آتا ہے یہ ہمّت کو بڑھانے کے لئے
گھر کی دیوار توڑو گے تو بھیڑ لگ جائے گی
نہ اے گا کوئی اک اینٹ لگانے کے لئے
جان یہ چھوٹی ہے دوستی ایمان و وفا سے
فلسفہ یاد یہ رکھنا سر اٹھانے کے لئے
تم تھوڑی بھوک بچا کر ضرور رکھا کرو
ہاتھ سے ماں کے اک نوالہ کھانے کے لئے
دھواں کر ڈالے گی آب جسم یہ شراب
لب ساقی ہے ضروری جان بچانے کے لئے
جب وہ دن آے تجھے پنکھ لگا دے مولا
کوئی شجر نہ کاٹنا اونچی اڑانو کے لئے
کھڑکیاں کھلی ہوں اور ہواؤں سے ہو یاری
راز کو پردوں میں رکھنا 'بھرت' چھپانے کے لئے
Thanks for the Urdu translation my dear friend Samina ! God Bless You
at
12:41 am
4/4/12
गाँव में अब भी बचपन मिलने आ जाता है
भाई की बिटिया के मुताबिक़
चौराहा अब बड़ा हो गया है
कहती है -
मैं भी बड़ी हो गई हूँ...
रचना नवभारत टाइम्स पर
http://bit.ly/HTJUx8 अपनी टिप्पणी ज़रूर दें
... सादर भरत
O S N
१
भाई की बिटिया के मुताबिक़
चौराहा अब बड़ा हो गया है
कहती है -
मैं भी बड़ी हो गई हूँ
२
जब बचपन जा रहा था
तबकी दोस्ती है
चौराहे से
ना बता पाया उसे
कुछ दोस्त हमेशा जवान रहते हैं
कि वो भी हमेशा छोटी ही रहेगी
३
चाय की गुमटी
उसकी दोस्त पान की दुकान
पीछे बहती साफ़ पानी की नाली
चौराहे के उत्तर-पूर्वी कोने की
मेरी सारी दोस्त दुकानों को
दगाबाज़ कपड़े की दुकान खा गई
बिटिया कहती है –
क्या ही अच्छा कलेक्शन है वहाँ
मेरी दोस्त-दुकानों का नामोनिशान
पानी में घुल गया
फोटोग्राफर का स्टूडियो भी धुल गया
जाने कहाँ गई होगी
मेरी पासपोर्ट साइज़ की निगेटिव
४
गया समय चुपके से मिलने आ जाता है
गाँव में अब भी बचपन मिलने आ जाता है
बूढ़ा हो गया रिक्शे वाला
बड़ा हो गया है स्कूल
रिक्शेवाले के बेटे की
नीली मोटरसाइकिल पर
बचपन का छोटा स्कूल भी आ जाता है
गाँव में अब भी बचपन मिलने आ जाता है
at
4:46 pm
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