15/8/13

क्या करें | کیا کریں |kya kareN | #ghazal | #ग़ज़ल | غزل#

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इन हुक्मरानों पर ज़रा सा भी भरोसा क्या करें
इनको खबर खुद भी नहीं, कब ये तमाशा क्या करें

शर्म ओ हया से दूर तक, जिसका न हो कुछ वास्ता 
वही आबरू-ए—मुल्क का, जब हो दरोगा क्या करें

इक नौकरों का शाह है, इक बादशाह बेताज़ है 
दोनों का मकसद लूटना, अब बापदादा क्या करें

काला बना पैसा हमारा, भेज दे स्विस बैंक में
रोया करें हम प्याज को, खाली खजाना क्या करें

नाटक दिखाते हैं तुझे, सब टोपियों का खेल है
सब के इरादे एक से, बस अब इशारा क्या करें
- भरत

ان حکمرانوں پر ذرا سا بھی بھروسہ کیا کریں 
ان کو خبر خود بھی نہیں، کب یہ تماشا کیا کریں 

شرم و حیا سے دور تک، جن کا نہ ہو کچھ واسطہ 
وہی آبرو ملک کا، جب ہو دروغہ کیا کریں 

اک نوکروں کا شاہ ہے، اک بادشاہ بےتاج ہے 
دونوں کا مقصد لوٹنا، اب باپ-دادا کیا کریں 

کالا بنا پیسا ہمارا، بھیج دیں سوئس بینک میں 
رویا کریں ہم پیاز کو، خالی خزانہ کیا کریں 

ناٹک دکھاتے ہیں تجھے، سب ٹوپیوں کا کھیل ہے 
سب کے ارادے ایک سے، بس اب اشارہ کیا کریں 
بھرت -

in huqmranoN par zara sa bhi bharosa kya kareN
inko khabar khud bhi nahi, kab ye tamasha kya kareN

sharm o haya se door tak, jinka na ho kuch wasta
vahi aabroo e mulk ka, jab ho daroga kya kareN

ik noukaroN ka shah hai, ik badshah betaj hai
dono ka maqsad lootna, ab baap-dada kya kareN

kala bana paisa hamara, bhej deN swiss bank meN
roya karen ham pyaj ko, khali khajana kya kareN

natak dikhate hain tujhe, sab topiyoN  ka khel hai
Sab ke iraade ek se, bas ab ishara kya kareN
-Bharat

5/8/13

आप के घर का पता रखता हूँ अब #Ghazal #BharatTiwari

2 टिप्‍पणियां:
आप के  घर  का  पता रखता हूँ अब
बस के इतनी  ही खता करता हूँ अब

बंद गलियाँ बन  गयी  हैं  घर  मिरा
रात का  साया  बना  फिरता  हूँ अब

वो  परिंदा  मर  गया  उड़ता  था  जो
पर  ये  मुर्दा  हैं के  जो  रखता हूँ अब

आप  के  आने  कि  जो  उम्मीद  है
साथ  उसके  टूट  कर  मरता हूँ अब

एक   मूरत  है   औ  इक  तस्वीर  है
बस  उन्ही  से  बात  मैं करता हूँ अब

इश्क  की   पाकीज़गी   जाने  'भरत'
इश्क  से ही  बस  के वाबस्ता हूँ अब

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