4/9/10

असल चेहरा / Asal Chehra

बता तेरे ही बंदे तेरे क्यों कई नाम कहते हैं ?तेरी उल्फत, के ये मुझको दीवाना कहते हैं 
क्यों बता तुझे ये रहीम-ओ-राम कहते हैं ?करके टुकड़े तेरे, देख मज़हब नाम कहते हैं 
तू जिस दुनिया में गुम जी रहा है गुरूर में...   तुझे मालूम नहीं इसी को दोज़ख कहते हैं ...
जिसकी हस्ती पे भी ऊँगली उठा रहा है तू    घर उसी का है ये, कागज़ तेरा कहते हैं  
बाहर तो निकल ख्वाबों की उस दुनिया से..तुझे सब में वो दिखेगा जिसे खुदा कहते है... 
आईने तोड़ के जरा खुद में झांकेगा कभी ?...जो असल चेहरा है उसको ही रूह कहते हैं...
रब है मिट्टी, रब है सोना, रब है तेरा होना ...जो बना दे मिट्टी को सोना उसे रब कहते है      bharat 24/8/2010

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