24/9/11

" फोटोग्राफर गौतम राजाध्यक्ष" यादें: एक शख्सियत की

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खालिद मोहम्मद (बॉलीवुड) अनुवादक भरत तिवारी
पूर्णतया आदर्श फोटोग्राफर गौतम राजाध्यक्ष ने जाते जाते हमारे लिये एक दुर्लभ विरासत पीछे छोड़ी हैं. अब क्या इसकी किस्मत भी वैसी ही खराब होगी, जैसी की पहले की विरासतों की होती आयी है और वो बस यादों का एक अंश बन के रह जायेगी ?



अनगिनत मास्टरपीस कृतियाँ गायब हो गई सिर्फ सरासर उपेक्षा और उदासीनता के चलते. हिंदीभाषी सिनेमा के स्वर्ण युग 1950 के समय की ना जाने कितनी मूल नाइट्रेट प्रिंट् फ़िल्में, स्टूडियो के गोदामों में सड़ गयीं और हम कुछ नहीं कर सकते बस समय के साथ भूल जाने के सिवाय.

इसी तरह, फिल्म तस्वीरों का एक विशाल खजाना – खास कर के पुराने फिल्म सितारों का - हवा मे गुम हो गया. दिग्गज कलाकारों जैसे के.एल. सहगल, नसीम बानो, दिलीप कुमार और मधुबाला (कुछ एक नाम लिए हैं) इन के सुनहरे दिनों की तस्वीरें अत्यंत दुर्लभ हैं और अब यादगार चीजों की नीलामी में भारी कीमतों में बिकती हैं.


प्रतिष्ठित फोटोग्राफर गौतम राजाध्यक्ष का निधन – जिसने 1970 से 2011 तक फिल्म सितारों की तस्वीरें ली हों - ये सवाल खड़ा कर रहा है : कि क्या होगा अब उसकी खींची तस्वीरों के विशाल संग्रह का ,वो तस्वीरें जिनसे हजारों पत्रिका के कवर नवाज़े गये ? जिनमे प्रचार पोस्टरों तो है हीं और जिनमे शामिल हैं ऐसी छवियाँ भी जिनसे माधुरी दीक्षित और काजोल जैसी हीरोइनों के करियर का शुभारंभ हुआ हो?



लंबे समय से उसके सहायक रहे परवेज ने कहा कि उसके चार दशक के सारे काम को डिजिटलीकरण कर सीडी मे संजो लिया गया है , लेकिन उसको भी ये नहीं पता कि आखिर इसका किया क्या जायेगा. कैमरा गुरु गौतम अपने पीछे दो भतीजियाँ और एक भतीजा छोड़ गये हैं और अब इस खजाने का भविष्य क्या होगा ये उनको ही तय करना है.


गौतम, उन्होंने शादी नहीं की थी, 13 सितंबर 2011 को अपने 61 वें जन्मदिन से 13 दिन पहले एक जबरदस्त दिल का दौरे के कारण इस दुनिया से चले गये. गौतम ने अपने दुर्लभ काम को दिखाने के लिये एक प्रदर्शनी “द अनसीन गौतम” की योजना भी बनाई थी लेकिन वो योजना आगे नहीं बढ़ पायी. गौतम की चचेरी बहन मशहूर लेखिका- समीक्षक शोभा डे भी तस्वीरों के संरक्षण को ले कर चिंतित हैं.

लता मंगेशकर और आशा भोंसले एक साथ एक फोटो सत्र के लिए सिर्फ तब ही सहमति देती थीं जब गौतम राजाध्यक्ष उस सत्र के मुख्य संचालक हो. एक विज्ञापन एजेंसी मे बतौर कॉपीराइटर काम करने वाले गौतम ने अपने कैरियर की शुरुआत शबाना आजमी, ऋषि कपूर की फोटो क्लीक करके और उस समय के कट्टर प्रतिद्वंदी सुपरस्टार राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन की एक सनसनी खेज खबर को खोजने से की थी. उस समय ये शुभ माना जाता था की नवागंतुकों की फोटो गौतम के हाथों निकले. इसलिए ही सलमान खान, सनी और बॉबी देओल, अमृता सिंह, ट्विंकल खन्ना, अभिषेक बच्चन और शाहरुख खान की सबसे शुरुआती फोटो गौतम की मेहनत से बनी.


बॉलीवुड के पोस्टर अब एक संग्रह का सामान होते जा रहे हैं, इन पोस्टरों की जबरदस्त कीमत है घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार दोनों मे ही जहाँ इनको फिल्म थीम्ड रेस्तरां और बुटीक के लिए उपयोग किया जाता है. प्रचार अभियान के पोस्टर और होर्डिंग के लिये गौतम को खास बुलाया जाता था. सुपरहिट फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे और मैंने प्यार किया से लेकर रंगीला और कभी खुशी कभी ग़म इत्यादि तक के पीछे गौतम ही थे.


एक फोटोग्राफर, एक ओपेरा शौकीन और खाने का शौक रखने वाले गौतम ने ना जाने कितनी बार बिना पैसा लिये ही ऐसे अभियान करे हैं , क्योंकि उसको खुशी मिलती थी फिल्म निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा बन कर. उसने राहुल रवेल द्वारा निर्देशित बेखुदी और अंजाम के लिए पटकथा लिखी, और सलमान खान के साथ एक फिल्म के निर्देशन बस शुरुआत तक पहुच गया था.


उसकी कॉफी टेबल किताब ‘फेसेज़दुर्गा खोटे, नूतन और रेखा जैसे वरिष्ठ सितारों के लिए एक श्रद्धांजलि थी और एक स्नेह था उन सितारों के लिये जिनको उसने वो सब सिखाया था कि कैसे कैमरे की घूरती आँखों के सामने आराम से रह कर अभिनय किया जाये. फिल्म हस्तियों के अलावा, उसको उद्योगपति जे आर डी टाटा, चित्रकार एम.एफ. हुसैन और क्रिकेटर सुनील गावास्कर और सचिन तेंडुलकर ने भी अपनी फोटोग्राफी के लिये बुलाया था. राजनीतिज्ञों को हालांकि वो खेद के एक विनम्र पत्र के साथ मना कर देता था क्योंकि वो उनकी विचारधारा से सहमत नहीं था


मुम्बई मे गौतम राजाध्यक्ष के पुराने-सांसारिक-स्वरूप विशाल घर और स्टूडियो मे ही उसकी तस्वीरों का संग्रह है; जो की ज्यादातर फिल्म पारदर्शिताओं के रूप में है क्योंकि डिजिटल कैमरों के आने से पहले इनका ही प्रचलन था. चरम मौसम की स्थिति और धूल उन्हें असुरक्षित बना सकते है. यदि वे वातानुकूलित सुविधाओं में नहीं रखी जाती हैं तो वो वे फीकी पड़ सकती हैं यहाँ तक की घिस पिट के किसी लायक ना रहने की स्तिथि मे जा सकती हैं


दूसरे शब्दों में, ज्यादा से ज्यादा पाँच वर्षों में, गौतम की बहुप्रशंसित कलाकृतियाँ भूली बिसरी यादें बन सकती है. उसके प्रशंसकों की एक विशाल संख्या एक पूर्वव्यापी प्रदर्शनी लगा के उसको अपना सलाम देना चाहेगी, लेकिन इस तरह के किसी उपक्रम को करने लिये धन भी आवश्यक है. उसकी आखिरी इच्छा जो उसकी वसीयत में थी , कि वो अपनी मौत पर कोई विशाल समारोह नहीं चाहता. उसकी केवल एक शर्त थी कि उसकी पसंदीदा गायिका मारिया कल्लास की एक सीडी उसके अंतिम संस्कार के पहले बजाई जाये .


बॉलीवुड की नामीगिरामी हस्तियाँ उसकी अंतिम यात्रा में शामिल हुई. उम्मीद है, वो भी उसके चित्रों की विरासत के संरक्षण की दिशा में काम करेंगी, जिनमे हजारों कहानियाँ समाई हुई हैं.

(खालिद मोहम्मद जब डायपर पहनते थे तब से बॉलीवुड की समीक्षा कर रहे हैं. तीन फिल्मों की पटकथा लेखन और तीन अन्य का निर्देशन किया है . आजकल एक वृत्तचित्र और लघु कथाएँ की एक किताब पर काम कर रहे हैं)

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सादर भरत तिवारी
Blogger Labels: सहगल,आजकल,legend



9/9/11

आमद Āmad

8 टिप्‍पणियां:





4/9/11

इन्तेज़ार /انتظار / Intezaar

4 टिप्‍पणियां:
Bharat Tiwari

आँखें नहीं टूटतीं
हाँ दिल की ना पूछें
सर सारे लहू है वो
और ये नही थकतीं

 
ĀkhēN nahīN ṭūṭ'tīN
HāN dil kī nā pūchēN
Sar sārē lahū hai vō
Aur yē nahī thak'tīN


 

آنکھیں نہیں ٹوٹتي
ہاں دل کی نا پوچھیں
سر سارے لہو ہے وہ
اور یہ نہیں تھكتي

थक्के तेरी यादों के
बने साँस का सामाँ
वो ज़मीर ऐ माहरू  
यहाँ तेरी नही हटतीं
* ज़मीर ऐ माहरू = reflection of the face

Thakkē tērī yādōN kē
Banē sāNs kā sāmāN 
Vō zamīr e māhrū
YahāN tērī nahī hat’tīN
* zamīr e māhrū = reflection of the face

تھككے تیری یادوں کے
بنے سانس کا ساما
وہ ضمیر اے ماهرو
یہاں تیری نہیں هٹتي

Dear Urdu readers I have used google to translate this to urdu; please if there is anything wrong in that let me know the rectified translation…





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