Bharat S Tiwari
~~~तुम्हे मैं अँधेरे मेंदेख लेता हूँ
वहाँ भीजहाँ खुद को भी नहीं
अहसास तुम्हाराअन्दर समा गया है
आँखें तुम्हारी बोलती हैंबंद हों तो भी
तुम...तुम मेरा किनारा होमेरा खोया हुआ मैं
भरत तिवारी ८/१२/२०१० नई दिल्ली
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