तुझमे अपने को समा लिया है खुद में खुदा को रमा लिया है दिल को यूँ खामोश किया है रख सीने पर पत्थर लिया है लगी उम्मीदें तेरे आने की सरीह*-ए-रूह मैंने किया है नही था खेल दिन दो चार का एक उम्र तुम्हे याद किया है क्या हसी कहाँ की मुस्काने हर अंदाज तेरा ही दिया है देखना अब आ रहा है ‘भरत’ खुदी को तेरे हवाले किया है *सरीह = pure © भरत तिवारी सर्वाधिकार सुरक्षित | Tujh Me Apne Ko Sama Liya Hai Khud Me Khuda Ko Rama Liya Hai Dil Ko Yoon Khamosh Kiya Hai Rakh Seene Par Patthar Liya Hai Lagi Ummiden Tere Aane Ki Sareeh*-E-Ruh Main’Ne Kiya Hai Nahi Tha Khel Din Do Chaar Ka Ek Umr Tumhe Yaad Kiya Hai Kya Hasi Kahan Ki Muskaane Har Andaaz Tera Hi Diya Hai Dekhna Ab Aa Raha Hai ‘Bharat’ Khudi Ko Tere Hawaale Kiya Hai *Sareeh=pure © Bharat Tiwari All rights reserved |
30/12/10
तुझमे अपने को समा लिया है / Tujh Me Apne Ko Sama Liya Hai
at
8:25 pm
26/12/10
नववर्ष तय्यारी-कुछ बिखरे चित्र ... रफत आलम
रफत आलम साहेब की दिल को छूती हुई रचना
नए साल के स्वागत की तय्यारी हो रही है.सर्दी बहुत है.“मिंक”का कोट अच्छा लगेगा.जिंदा जानवर की खाल उतार कर बना.नरम नरम ,गर्म गर्म.सीप का दिल चीर कर बना मोतियों का हार.क्या खूब सजेगा. क्या फ़िक्र जो पास रूपया नहीं है.“एस्कोर्ट” सर्विस करके ले आयंगे.दो -चार को खुश ही तो करना है. परफयूम “पायजन” की खुशबु.भीनी भीनी अच्छी लगती .खरगोश की आँखों में डालकर.परखी हुई है.टेबल के लिए “कवियर” भी चाहिये.चालीस लाख मछली के अंडेसिर्फ चार की डिश के लिए.आतिशबाजी –पटाखे भी लेने है.माहोल के ज़हर से अभी कोन मर रहा है.कानों की हिफाज़त क्या करना.पड़ोस की परेशानी से केसा डरना.जश्न में संगीत तो शोरभरा ही चाहिएनए साल का स्वागत करना हैपसीने की नदी के किनारेधूलधुलसित अधनंगे साँस लेते कंकाल. घुटनों के बीच सर छुपाये हुए.सर्दी से बचाव में अधभरे पेट पर झुक गए हैं.स्वेटर –रजाई के तस्सवुर में. रद्दी-टायरों के साथ जल कर रात मर जायेगी.दूर जगमगाती रोशनियों की मरीचिका.लाखों जागते सपनों की जिंदा कब्रगाह है. नए साल का स्वागत करके आप. खुमार में गाफिल पड़े होंगे.ये मुफलिस उठ खड़े होंगे.प्याज –रोटी के जुगाड में.शाहराहों पर धुएं की तरह खो जायेगे.गुजर जायेगी एक जनवरी ग्यारह भी.
नए साल के स्वागत की तय्यारी हो रही है.
सर्दी बहुत है.
“मिंक”का कोट अच्छा लगेगा.
जिंदा जानवर की खाल उतार कर बना.
नरम नरम ,गर्म गर्म.
सीप का दिल चीर कर बना मोतियों का हार.
क्या खूब सजेगा.
क्या फ़िक्र जो पास रूपया नहीं है.
“एस्कोर्ट” सर्विस करके ले आयंगे.
दो -चार को खुश ही तो करना है.
परफयूम “पायजन” की खुशबु.
भीनी भीनी अच्छी लगती .
खरगोश की आँखों में डालकर.
परखी हुई है.
टेबल के लिए “कवियर” भी चाहिये.
चालीस लाख मछली के अंडे
सिर्फ चार की डिश के लिए.
आतिशबाजी –पटाखे भी लेने है.
माहोल के ज़हर से अभी कोन मर रहा है.
कानों की हिफाज़त क्या करना.
पड़ोस की परेशानी से केसा डरना.
जश्न में संगीत तो शोरभरा ही चाहिए
नए साल का स्वागत करना है
पसीने की नदी के किनारे
धूलधुलसित अधनंगे साँस लेते कंकाल.
घुटनों के बीच सर छुपाये हुए.
सर्दी से बचाव में अधभरे पेट पर झुक गए हैं.
स्वेटर –रजाई के तस्सवुर में.
रद्दी-टायरों के साथ जल कर रात मर जायेगी.
दूर जगमगाती रोशनियों की मरीचिका.
लाखों जागते सपनों की जिंदा कब्रगाह है.
नए साल का स्वागत करके आप.
खुमार में गाफिल पड़े होंगे.
ये मुफलिस उठ खड़े होंगे.
प्याज –रोटी के जुगाड में.
शाहराहों पर धुएं की तरह खो जायेगे.
गुजर जायेगी एक जनवरी ग्यारह भी.
at
2:25 pm
25/12/10
~ तुम अजनबी ~ ~ Tum Ajnabee ~
at
12:38 am
17/12/10
कोशिश
Main Parinda Ban Raha Hoon Ab
Paron Ki Koplen
Aane Lagi Hain
Tumne
Saat Hi Aakash Banaye Hain
Ik Naya Banane Ki Chaah Hai
Tum Kis Aakash Se Dekhte Ho
Dekhte Ho Jis Kisi Se Bhi
Dekh Leta Hoon
Parda Hatake Khidaki Ka
Bharat 17/12/2010
at
9:56 pm
9/12/10
कहाँ से तेरे ये मोती आते
कहाँ से तेरे ये मोती आते
यहाँ के सारे अँधेरे जाते …
तूने भरा होगा अपनी बाँहों में
यों नहीं ख्वाब महकते आते …
अब मेरी पलक नहीं झुकती
नाम हवाओं में जो लिखे जाते …
इश्क में खबर नहीं थी हमको
ये चाँद सिर्फ ईद में नज़र आते...
कुछ इतना ताज़ा वो तेरा अहसास
‘भरत’ के घाव खुद-ब-खुद भर जाते…
यहाँ के सारे अँधेरे जाते …
तूने भरा होगा अपनी बाँहों में
यों नहीं ख्वाब महकते आते …
अब मेरी पलक नहीं झुकती
नाम हवाओं में जो लिखे जाते …
इश्क में खबर नहीं थी हमको
ये चाँद सिर्फ ईद में नज़र आते...
कुछ इतना ताज़ा वो तेरा अहसास
‘भरत’ के घाव खुद-ब-खुद भर जाते…
भरत ९/१२/२०१० नई दिल्ली
at
10:44 pm
एक पत्ता / Ek Pattha
तुम
ऐसे घूम जाते हो
मैं
बस देखता रह गया
एक पत्ते सा दिल
तुम्हारे पीछे
साथ साथ
दूर तक आया
अच्छा किया
तुमने
उसे सम्हाल लिया
और
रख दिया
किताब में
पन्नों के बीच
…………….भरत ९/१२/२०१० नई दिल्ली
Tum
Aise Ghoom Jaate Ho
Main
Bas Dekhta Rah Gaya
Ek Patte Sa Dil
Tumhaare Peechhe
Saath Saath
Door Tak Aaya
Achhcha Kiya
Tumne
Use Samhaal Liya
Aur
Rakh Diya
Kitab Men
Pannon Ke Beech
…………….Bharat Tiwari 9/12/2010 New Delhi
ऐसे घूम जाते हो
मैं
बस देखता रह गया
एक पत्ते सा दिल
तुम्हारे पीछे
साथ साथ
दूर तक आया
अच्छा किया
तुमने
उसे सम्हाल लिया
और
रख दिया
किताब में
पन्नों के बीच
…………….भरत ९/१२/२०१० नई दिल्ली
Tum
Aise Ghoom Jaate Ho
Main
Bas Dekhta Rah Gaya
Ek Patte Sa Dil
Tumhaare Peechhe
Saath Saath
Door Tak Aaya
Achhcha Kiya
Tumne
Use Samhaal Liya
Aur
Rakh Diya
Kitab Men
Pannon Ke Beech
…………….Bharat Tiwari 9/12/2010 New Delhi
at
1:40 am
8/12/10
मेरा किनारा
~~~
तुम्हे मैं अँधेरे में
देख लेता हूँ
वहाँ भी
जहाँ खुद को भी नहीं
अहसास तुम्हारा
अन्दर समा गया है
आँखें तुम्हारी बोलती हैं
बंद हों तो भी
तुम...
तुम मेरा किनारा हो
मेरा खोया हुआ मैं
भरत तिवारी ८/१२/२०१० नई दिल्ली
at
10:21 pm
6/12/10
Koocha-e-Yaar / कुचा-ए-यार
at
8:00 pm
3/12/10
Chhalia / छलिया
at
10:23 pm
सदस्यता लें
संदेश (Atom)