30/12/10

तुझमे अपने को समा लिया है / Tujh Me Apne Ko Sama Liya Hai

2 टिप्‍पणियां:
                    tujh me apne ko sama liya hai ghazal by bharat tiwari (Dastakar)

तुझमे अपने को समा लिया है
खुद में खुदा को रमा लिया है

दिल को यूँ खामोश किया है
रख सीने पर पत्थर लिया है

लगी उम्मीदें तेरे आने की
सरीह*-ए-रूह मैंने किया है

नही था खेल दिन दो चार का
एक उम्र तुम्हे याद किया है

क्या हसी कहाँ की मुस्काने
हर अंदाज तेरा ही दिया है

देखना अब आ रहा है ‘भरत’
खुदी को तेरे हवाले किया है

*सरीह = pure
© भरत तिवारी सर्वाधिकार सुरक्षित
Tujh Me Apne Ko Sama Liya Hai
Khud Me Khuda Ko Rama Liya Hai

Dil Ko Yoon Khamosh Kiya Hai
Rakh Seene Par Patthar Liya Hai

Lagi Ummiden Tere Aane Ki
Sareeh*-E-Ruh Main’Ne Kiya Hai

Nahi Tha Khel Din Do Chaar Ka
Ek Umr Tumhe Yaad Kiya Hai

Kya Hasi Kahan Ki Muskaane
Har Andaaz Tera Hi Diya Hai

Dekhna Ab Aa Raha Hai ‘Bharat’
Khudi Ko Tere Hawaale Kiya Hai

*Sareeh=pure
© Bharat Tiwari All rights reserved
 

26/12/10

नववर्ष तय्यारी-कुछ बिखरे चित्र ... रफत आलम

4 टिप्‍पणियां:
रफत आलम साहेब की दिल को छूती हुई रचना


नए साल के स्वागत की तय्यारी हो रही है.
सर्दी बहुत है.
“मिंक”का कोट अच्छा लगेगा.
जिंदा जानवर की खाल उतार कर बना.
नरम नरम ,गर्म गर्म.
सीप का दिल चीर कर बना मोतियों का हार.
क्या खूब सजेगा. 
क्या फ़िक्र जो पास रूपया नहीं है.
“एस्कोर्ट” सर्विस करके ले आयंगे.
दो -चार को खुश ही तो करना है.  
परफयूम “पायजन” की खुशबु.
भीनी भीनी अच्छी लगती .
खरगोश की आँखों में डालकर.
परखी हुई है.
टेबल के लिए “कवियर” भी चाहिये.
चालीस लाख मछली के अंडे
सिर्फ चार की डिश के लिए.
आतिशबाजी –पटाखे भी लेने है.
माहोल के ज़हर से अभी कोन मर रहा है.
कानों की हिफाज़त क्या करना.
पड़ोस की परेशानी से केसा डरना.
जश्न में संगीत तो शोरभरा ही चाहिए
नए साल का स्वागत करना है
पसीने की नदी के किनारे
धूलधुलसित अधनंगे साँस लेते कंकाल.  
घुटनों के बीच सर छुपाये हुए.
सर्दी से बचाव में अधभरे पेट पर झुक गए हैं.
स्वेटर –रजाई के तस्सवुर में.    
रद्दी-टायरों के साथ जल कर रात मर जायेगी.
दूर जगमगाती रोशनियों की मरीचिका.
लाखों जागते सपनों की जिंदा कब्रगाह है.    
नए साल का स्वागत करके आप.  
खुमार में गाफिल पड़े होंगे.
ये मुफलिस उठ खड़े होंगे.
प्याज –रोटी के जुगाड में.
शाहराहों पर धुएं की तरह खो जायेगे.
गुजर जायेगी एक जनवरी ग्यारह भी.

17/12/10

कोशिश

7 टिप्‍पणियां:
main parinda ban raha hoon

Main Parinda Ban Raha Hoon Ab
Paron Ki Koplen
Aane Lagi Hain

Tumne
Saat Hi Aakash Banaye Hain
Ik Naya Banane Ki Chaah Hai

Tum Kis Aakash Se Dekhte Ho
Dekhte Ho Jis Kisi Se Bhi
Dekh Leta Hoon
Parda Hatake Khidaki Ka

Bharat 17/12/2010

9/12/10

कहाँ से तेरे ये मोती आते

1 टिप्पणी:
कहाँ से तेरे ये मोती आते
यहाँ के सारे अँधेरे जाते …
   तूने भरा होगा अपनी बाँहों में
   यों नहीं ख्वाब महकते आते …
अब मेरी पलक नहीं झुकती
नाम हवाओं में जो लिखे जाते …
   इश्क में खबर नहीं थी हमको 
   ये चाँद सिर्फ ईद में नज़र आते...
कुछ इतना ताज़ा वो तेरा अहसास  
‘भरत’ के घाव खुद-ब-खुद भर जाते…

भरत ९/१२/२०१० नई दिल्ली

एक पत्ता / Ek Pattha

1 टिप्पणी:
तुम confused heart
ऐसे घूम जाते हो
 
मैं
बस देखता रह गया
 
एक पत्ते सा दिल
तुम्हारे पीछे
साथ साथ
दूर तक आया
 
अच्छा किया
तुमने
 
उसे सम्हाल लिया
और
रख दिया
 
किताब में
 
पन्नों के बीच
…………….भरत ९/१२/२०१० नई दिल्ली
 
Tum
Aise Ghoom Jaate Ho
 
Main
Bas Dekhta Rah Gaya
 
Ek Patte Sa Dil
Tumhaare Peechhe
Saath Saath
Door Tak Aaya
 
Achhcha Kiya
Tumne
 
Use Samhaal Liya
Aur
Rakh Diya
 
Kitab Men
 
Pannon Ke Beech
 
…………….Bharat Tiwari 9/12/2010 New Delhi

8/12/10

मेरा किनारा

कोई टिप्पणी नहीं:

‎~~~
तुम्हे मैं अँधेरे में
देख लेता हूँ


वहाँ भी
जहाँ खुद को भी नहीं


अहसास तुम्हारा
अन्दर समा गया है


आँखें तुम्हारी बोलती हैं
बंद हों तो भी


तुम...
तुम मेरा किनारा हो
मेरा खोया हुआ मैं


भरत तिवारी ८/१२/२०१० नई दिल्ली

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