बहुत ही खूब सूरत आप ने भाई जी इस को पेश किया है ...एक साधरण बात को .....पर जो मार्मिकता और मासूमियत से अंतिम पक्तोयों मैं लिखा है आप का समर्पण लिखावट मैं झलका है जी ........वाकई मैं बहुत ही खूब सूरत जी !!!!!!!!!!!!!!देख लेता हूँ पर्दा हटा कर वाह जी वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!शुभ कामनाए भाई जी !!!!!!
बहुत ही खूब सूरत आप ने भाई जी इस को पेश किया है ...एक साधरण बात को .....पर जो मार्मिकता और मासूमियत से अंतिम पक्तोयों मैं लिखा है आप का समर्पण लिखावट मैं झलका है जी ........वाकई मैं बहुत ही खूब सूरत जी !!!!!!!!!!!!!!देख लेता हूँ पर्दा हटा कर वाह जी वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!शुभ कामनाए भाई जी !!!!!!
जवाब देंहटाएंVery good
जवाब देंहटाएंयह कोशिश...
जवाब देंहटाएंआकाश बनाने की चाह!
वाह!
बड़े सुन्दर विम्ब लिए हुए है यह रचना!
वाह भरत भाई ,
जवाब देंहटाएंमालिक करे की आप और ऊँची उड़ान भरें ,
नित नए आकाश छुए ,
बहुत खूब चित्रण है आपकी आंतरिक भावनाओँ का,
नमन है आपको .............
तुमने सात ही आकाश बनाये हैं ...
जवाब देंहटाएंइक नया बनाने की चाह है ...
बहुत खूब भरत जी ....इक आठवा आकाश बनाने की बहुत अच्छी "कोशिश " को दर्शाया है अपने अपनी रचना में .... बहुत शुभकामनाएं ..
achi kavita hai waah waah
जवाब देंहटाएंaap ki kawita mein naya bhav dekha aathve aakash ka ..wo khidki se parda hatane ki baat to jese subh ki komal pavan
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