सुन तू मेरी रूह में बसा जाता है तकरार तेरी ना हो तो क्या हो सौंपी तेरे हाँथों में हर डोर अपनी तू है तो मंजिल नज़र के सामने तू मुस्कुरा दे मेरे एक अशार पे भरत के सारे हर्फ़ तुझ पे कुर्बान भरत ००:११ १६/१०/२०१० नई दिल्ली | Suun Tu Meri Ruuh Men Basa Jata Hai Takraar Teri Na Ho To Kya Ho Saunpii Tere Haanthon Men Har Dor Apni Tu Hai To Manzil Nazar Ke Saamne Tu Muskura De Mere Ek Ashaar Pe Bharat Ke Saare Harf Tujh Pe Kurbaan Bharat 00:11 16/10/2010 New Delhi |
16/10/10
Suun Tu Meri Ruuh Men Basa Jata Hai सुन तू मेरी रूह में बसा जाता है
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8:09 pm
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