2/12/12

मतलब निकल गया है अब वो कहाँ मिलेगा matlab nikal gaya hai ab vo kahaN milega






बेकार रो रहे हो, आँसू न इक बचेगा 
मतलब निकल गया है अब वो कहाँ मिलेगा

आने लगा नज़र जो  दर पे गरीब की है
वो चाँद ईद का नहीं हर साल जो दिखेगा

पहली खबर अभी तक समझा नहीं ज़माना
ऐलान कर दिया की कोई न कुछ कहेगा

वादा गवाह का है हर राज़ खोल देगा
मालुम उसे नहीं क्या सच बोल कर मरेगा

मर के न लौट आये फिर दुश्मन-ए-जहाँ कहीं
पहरा शब-ए-क़यामत भी कबर पे रहेगा

रोटी अमीर की है, सोना अमीर का सब
बाकी बचा गरीब वो भूख से मरेगा

अंदर रहें या बाहर डरते नहीं ज़रा भी
हिस्सा बराबरी का हर लूट में मिलेगा 


bekaar ro rahe ho, aaNsu na ik bachega
matlab nikal gaya hai ab vo kahaN milega

aane lage nazar jo dar pe garib kii hai
vo chaaNd  eid ka nahi har saal jo dikhega

pahli khabar abhi tak samjha nahi zamana
ailaan kar diya kii  koyi na kuch kahega

vada gavaah ka hai har raaz khol dega
malum us’se nahi kya  sach bol kar marega

mar ke na lout aaye fir dushman-e-jahaN kahiN
pahra shab-e-qayamat bhi qa’bar pe rahega

roti amir kii hai sona amir ka sab
baqi bacha garib  vo bhookh se marega

aNdar raheN ya bahar darte nahi zara bhi
hissa barabari ka har loot meN milega 
... शजर 

2 टिप्‍पणियां:

  1. ईद का चाँद हो तो आशा तो है,,,,,,,, गिले शिकवे किये तो जा सकते हैं,
    उस चाँद पे गाल गीले करना गालों को गलाना है,,,,
    नीरो बंशी बजा रहा है,,,,जब किसान आत्महत्या करते हैं,,,,,,, नीरो ऊपर से कहता है :- "भारत का किसान खेती करना ही नहीं चाहता इस लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के जरूरत है"
    ,,,,,,,,, सत्ता में रहे या ना रहे,,,,,,,,, लूटेरो का धंधा मंदा नहीं होता,,,,,,
    पक्ष और विपक्ष के ही हैं,
    ------------------------------------
    भरत भाई "शज़र" की ग़ज़ल के कुछ हिस्से एक बारगी ऊपर से जाते हैं
    ,,,,,, पर और ध्यान से ढूंढे तो बहुत गहराई मिलती है,,,,,,
    जैसे - पहली खबर .
    पर ध्यान से देखे तो इसमें कोई चुप रहने की धमकी देता है,,,,, पर लोग इस सब से बेपरवाह हैं।
    लोग इतने भोले हैं फिर भी बोलते हैं।
    और उसी का नतीजा है ,,,,,,,, जो हाले समय हो रहा है,,,,,,,
    कभी पेट्रोल की तंगी,,,,कभी गैस की तंगी,,,,कभी कुछ,,,,तो कभी कुछ ,,,,,,,,
    फिर भारत का क्या ख़ाक विकास करेगा ,,,,,,,,
    शजर की गजलें समय के साथ समय को आईना दिखाती हैं

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