लेखन: भरत एस तिवारी
Bharat S Tiwari
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24/12/12
चली देवी
बर्बरता निर्लज्ज टूटी
प्रणय पावन रक्त रंजित
दहला यम
पाँव उठे , पाँव थमे
पाँव उठे , पाँव थमे
धरा करुण रुधन
मानव मौन
पाँव उठे
चलो देवी
पाँव उठे
चली देवी
2 टिप्पणियां:
भटक्या गोकुळ
7:35 am, दिसंबर 25, 2012
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भटक्या गोकुळ
7:36 am, दिसंबर 25, 2012
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