
ऐसे घूम जाते हो
मैं
बस देखता रह गया
एक पत्ते सा दिल
तुम्हारे पीछे
साथ साथ
दूर तक आया
अच्छा किया
तुमने
उसे सम्हाल लिया
और
रख दिया
किताब में
पन्नों के बीच
…………….भरत ९/१२/२०१० नई दिल्ली
Tum
Aise Ghoom Jaate Ho
Main
Bas Dekhta Rah Gaya
Ek Patte Sa Dil
Tumhaare Peechhe
Saath Saath
Door Tak Aaya
Achhcha Kiya
Tumne
Use Samhaal Liya
Aur
Rakh Diya
Kitab Men
Pannon Ke Beech
…………….Bharat Tiwari 9/12/2010 New Delhi
...और रख दिया किताब में पन्नों के बीच मार्मिक बात .ये पत्ते कभी सूखते नहीं दिल जो हैं .सभी के पास संजोए होते हैं .किताब,फूल पत्र,तस्वीरें ...जीवन समझोतों का नाम है.इसलिए कई बार भूलने का सामन भी करना पड़ता है चाहे जलादो फिर भी कभी ना कभी उड़ते आँखों के सामने चले ही आते हैं ,
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