ऐसे कहाँ छूने को हुआ
छिल दि
आत्मा
की खाल
उजाड़ दिया
सात दिन में
सात जन्मो का सपना
इंसान गये कहाँ
पृथ्वी से
भगवान तो नदारद ना थे
तुरुपाई करके
दुरुस्त की खाल
उन्मुक्तता जाती रही
बेचारा दिल
अब
बेमौत
जिन्दा लाश…
भरत तिवारी १७/०१/२०११ नयी दिल्ली
Aise Kahan Chhoone Ko Hua
Chhil Di
Aatma
Ki Khal
Ujaad Diya
Saat Din Men
Saat Janmo Ka Sapna
Insan Gaye Kahan
Prithvi Se
Bhagawaan To Nadarad Na The
Turupaai Kara’ke
Durust Ki Khal
Unmukt’ta Jaati Rahi
Bechaara Dil
Ab
Bemout
Zinda Laash…
Bharat Tiwari 17/01/2011 New Delhi
सात दिन और सात रातें..
जवाब देंहटाएंसात फेरे और सात वचन..
सात कसमें और सात जनम..
सात रंग इन्द्रधनुष के और सात सुर..
सात समुन्दर और सात आसमान..
तुम्हारे साथ बिताये गये वो पल..
क्या इतने भी अनमोल ना थे..
के सिर्फ़ सात शब्द,
और सात पल लगे,
तुम्हें उन्हें तोडने में..
नीलम
awesome.......
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