सुन्दर कल्पनाओं में उभरी छवि हकीकत में बयाँ या स्पस्ट दिखने लगे तो इस तरह के भाव उत्तपन हो जातें है जिनके ओने छुटे या सपने टूटे ..फिर भी जख्म पर जक्मा सहे जा रहा है और फिर आज के परिपेक्ष्य में रस्मी तौर पर अवसरों को मानने-मनाने का हमने रिअवाजो का रूप दे दिया है ...और वही या उसके परिणामो की कोई हकीकत बात हमारे सामने उपस्थित हो जाती है कभी कभी ..जो हमें क्रोध करुना आदि से विचलित कर जाती है तभी हम उस और जाय या न जाये के बीच खुद को खड़ा पातें है ..और फिर आस या इंतजार भी कही इस में अपनी अहम् भूमिका रखता है...उसीमें हम वफ़ा और बेवफा का भी पुट देख लेतें है ..एक सुन्दर प्रस्तुति भाई जी आप की !!!!!!!!!!!!!!!!
सुन्दर कल्पनाओं में उभरी छवि हकीकत में बयाँ या स्पस्ट दिखने लगे तो इस तरह के भाव उत्तपन हो जातें है जिनके ओने छुटे या सपने टूटे ..फिर भी जख्म पर जक्मा सहे जा रहा है और फिर आज के परिपेक्ष्य में रस्मी तौर पर अवसरों को मानने-मनाने का हमने रिअवाजो का रूप दे दिया है ...और वही या उसके परिणामो की कोई हकीकत बात हमारे सामने उपस्थित हो जाती है कभी कभी ..जो हमें क्रोध करुना आदि से विचलित कर जाती है तभी हम उस और जाय या न जाये के बीच खुद को खड़ा पातें है ..और फिर आस या इंतजार भी कही इस में अपनी अहम् भूमिका रखता है...उसीमें हम वफ़ा और बेवफा का भी पुट देख लेतें है ..एक सुन्दर प्रस्तुति भाई जी आप की !!!!!!!!!!!!!!!!
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