कुछ तो
लिखना ही था..
मुद्दाविहीन मुद्दे पर
सम्पादक ने नोटिस जो दी थी..
कुछ सोया
कुछ पाया
सपने !
अजीब होते हैं
सपने
कभी कभी
सर ना पैर
आज का सपना
अजीब सपनो
की डाल से टपका
आज ही आना था
चलो...
इसी बहाने लेखक तो बना
.......................................
सादर भरत (राकेश श्रीमाल जी को समर्पित)
लिखना ही था..
मुद्दाविहीन मुद्दे पर
सम्पादक ने नोटिस जो दी थी..
कुछ सोया
कुछ पाया
सपने !
अजीब होते हैं
सपने
कभी कभी
सर ना पैर
आज का सपना
अजीब सपनो
की डाल से टपका
आज ही आना था
चलो...
इसी बहाने लेखक तो बना
..........................
सादर भरत (राकेश श्रीमाल जी को समर्पित)
Bharat Bhai... Bahot hi dhardaar kavita hai. Bahot Khoob..
जवाब देंहटाएंAASHIRVAAD
-rajeev sahay
आज ही आना था.
जवाब देंहटाएंचलो...
इसी बहाने लेखक तो बना...
गहन विचार।