8/1/11

मुद्दाविहीन मुद्दे पर...


कुछ तो
लिखना ही था..

मुद्दाविहीन मुद्दे पर
सम्पादक ने नोटिस जो दी थी..

कुछ सोया
कुछ पाया
सपने !

अजीब होते हैं
सपने
कभी कभी
सर ना पैर

आज का सपना
अजीब सपनो
की डाल से टपका

आज ही आना था
चलो...
इसी बहाने लेखक तो बना
.......................................
सादर भरत (राकेश श्रीमाल जी को समर्पित)


2 टिप्‍पणियां:

  1. Bharat Bhai... Bahot hi dhardaar kavita hai. Bahot Khoob..
    AASHIRVAAD
    -rajeev sahay

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  2. आज ही आना था.
    चलो...
    इसी बहाने लेखक तो बना...
    गहन विचार।

    जवाब देंहटाएं

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