
आज
उधार उतारने जाता हूँ
हिन्दी में
बात बताता हूँ
देखूँ तो
दूंढूं उन्हें
वो पत्र
दीदी के लिखे
हिन्दी के शब्दों में घुली
ममता से डूबी वो पंक्ति
“आशीर्वाद मेरा घर में देना “
आशीर्वाद वो लेने जाता हूँ …
प्यार वो मिलता नहीं
मिठास वो आती नहीं
कुछ समझ भी आती नहीं
असत्य है ये बात
कि भाषा से का प्रभाव नहीं पड़ता
जो सम्मान प्रणाम से होता है
वो रिगार्ड्स में दिखता नहीं
माँ जी गयी जब छोड़ कर
साथ गया समाचार पत्र
अब कहीं अगर दिख जाये तो
उसमे विज्ञापन चिल्लाता है
“.. तीस दिन में अंग्रेज़ी सीखें"
खूब मजाक उड़ाता है
गाने गाओ हिन्दी केऔर नाच करो अंग्रेज़ी के
फिल्मे देखो हिन्दी की
और बात करो हालीवुड की…
क्यों दोगलापन ये आता है ?
यहाँ कौन किसे झुठलाता है ?
ये कहाँ सिखाया जाता है ?
अपने में झाँक के देखा तो
दोषी अंदर मुस्काता है
हिन्दी सुन परदेश में वो
मगन क्यों हो जाता है
अपने दिल से पूछो तो तुम
उसे हिन्दी पर मोह आता है
उसे हिन्दी पर मोह आता है
भरत तिवारी , नई दिल्ली , १४/०९/२०१०
मात भाषा को सलाम.
जवाब देंहटाएंHamare maa Hindi hai ....bake sab moseyion se muje koi eatraj bhe nahe hai per mere maa ka samman sab se upar hai .... baddapn use men hai ke kese bhe Mose ka aapman na kaer ke hamare maa ke ijjet ka pura khyal rakna hamara Kartavya hai ...Kese bhasa ka aapman kaer ke ..hinde ko aage lana bhe uske sath Anyai he hoga ....
जवाब देंहटाएंअब समय आ गया है कि हिंदी ही हमारी मात्र भाषा हो जाये ,
जवाब देंहटाएंऐसे ही रचनाकारों कि जरूरत है जो सोते हुए लोगों को जगायें ,
ऐसी रचना के लिए आप बधाई के पात्र हैं,
ji badi bhavanaon se bharee rachana; achcha laga ye jankar ki antatah ham apani hi bhasha ki or lautane ki koshish kar rahe hai badhiya baat hai
जवाब देंहटाएंaapki is nazam se desh bhakti aur apne desh ki sanskriti ke prati jo junoon hai , uski khusboo ki mehak aati hai. sorry am little weak in hindi since am from south but i have tried to express my admiration for this wonderful poem in my own way.tk care n god bless bharatji.
जवाब देंहटाएंक्या कहना!! आपने ह्रदय की व्यथा को बड़े आत्मीय शब्दों मे उतारा है|
जवाब देंहटाएंहिन्दी सुन परदेश मे वो
मगन क्यों हो जाता है !!
बधाई आदरणीय भरत जी!