Bharat S Tiwari
बहुत ख़ूब। पसंद आई। क्या भारत तिवारी और शजर एक ही शख़्सियत के दो नाम हैं?
शम्स भाई शुक्रियासादरभरत तिवारी 'शजर'
शम्स भाई शुक्रिया... भरत तिवारी "शजर"
बहुत खूब भाई! अँधेरे का वजूद रौशनी से हैजैसे प्यास का वजूद तश्नगी से लेकिन फिर भी सिमट जाती हैं हजारों रौशनियाँ इस अँधेरे मेंगुमनाम सी, मर जाती हैं
रौशनी की लौ डूबती है गहरे में तुम्हारे लिए ही लाना है उसको कुछ
घर तो होता है हमारा नहीं होता कोरा मेरा ठोकर सिखाएगी दम है कितना हमारे में.
भरत भाई दिये की लौ और हमारा घर .....पंक्तियाँ सुंदर बनी हैं........पंक्तियों को पंख लगाओ इनको उड़ने दो..........पूरा आसमान....है किसलिए
ज़रूर सुदेश भाई !
स्वागत है
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बहुत ख़ूब। पसंद आई। क्या भारत तिवारी और शजर एक ही शख़्सियत के दो नाम हैं?
जवाब देंहटाएंशम्स भाई शुक्रिया
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भरत तिवारी 'शजर'
शम्स भाई शुक्रिया
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बहुत खूब भाई!
जवाब देंहटाएंअँधेरे का वजूद रौशनी से है
जैसे प्यास का वजूद तश्नगी से
लेकिन फिर भी सिमट जाती हैं
हजारों रौशनियाँ इस अँधेरे में
गुमनाम सी, मर जाती हैं
रौशनी की लौ
जवाब देंहटाएंडूबती है
गहरे में
तुम्हारे लिए ही
लाना है
उसको कुछ
घर तो
जवाब देंहटाएंहोता है
हमारा
नहीं होता
कोरा
मेरा
ठोकर
सिखाएगी
दम है
कितना
हमारे में.
भरत भाई दिये की लौ और हमारा घर .....
जवाब देंहटाएंपंक्तियाँ सुंदर बनी हैं........पंक्तियों को पंख लगाओ
इनको उड़ने दो..........पूरा आसमान....है किसलिए
ज़रूर सुदेश भाई !
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