26/12/10

नववर्ष तय्यारी-कुछ बिखरे चित्र ... रफत आलम

रफत आलम साहेब की दिल को छूती हुई रचना


नए साल के स्वागत की तय्यारी हो रही है.
सर्दी बहुत है.
“मिंक”का कोट अच्छा लगेगा.
जिंदा जानवर की खाल उतार कर बना.
नरम नरम ,गर्म गर्म.
सीप का दिल चीर कर बना मोतियों का हार.
क्या खूब सजेगा. 
क्या फ़िक्र जो पास रूपया नहीं है.
“एस्कोर्ट” सर्विस करके ले आयंगे.
दो -चार को खुश ही तो करना है.  
परफयूम “पायजन” की खुशबु.
भीनी भीनी अच्छी लगती .
खरगोश की आँखों में डालकर.
परखी हुई है.
टेबल के लिए “कवियर” भी चाहिये.
चालीस लाख मछली के अंडे
सिर्फ चार की डिश के लिए.
आतिशबाजी –पटाखे भी लेने है.
माहोल के ज़हर से अभी कोन मर रहा है.
कानों की हिफाज़त क्या करना.
पड़ोस की परेशानी से केसा डरना.
जश्न में संगीत तो शोरभरा ही चाहिए
नए साल का स्वागत करना है
पसीने की नदी के किनारे
धूलधुलसित अधनंगे साँस लेते कंकाल.  
घुटनों के बीच सर छुपाये हुए.
सर्दी से बचाव में अधभरे पेट पर झुक गए हैं.
स्वेटर –रजाई के तस्सवुर में.    
रद्दी-टायरों के साथ जल कर रात मर जायेगी.
दूर जगमगाती रोशनियों की मरीचिका.
लाखों जागते सपनों की जिंदा कब्रगाह है.    
नए साल का स्वागत करके आप.  
खुमार में गाफिल पड़े होंगे.
ये मुफलिस उठ खड़े होंगे.
प्याज –रोटी के जुगाड में.
शाहराहों पर धुएं की तरह खो जायेगे.
गुजर जायेगी एक जनवरी ग्यारह भी.

4 टिप्‍पणियां:

  1. नए साल पर हार्दिक शुभकामना .. आपकी पोस्ट बेहद पसंद आई ..आज (31-12-2010) चर्चामंच पर आपकी यह पोस्ट / रचना है .. http://charchamanch.uchacharan.blogspot.com.. पुनः नववर्ष पर मेरा हार्दिक अभिनन्दन और मंगलकामनाएं |

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  2. रफत आलम साहेब जी की दिल की गहराईयों को छूने वाली एक खूबसूरत रचना पढ़वाने के लिए आभार.

    अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
    तय हो सफ़र इस नए बरस का
    प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
    सुवासित हो हर पल जीवन का
    मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
    करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
    शांति उल्लास की
    आप पर और आपके प्रियजनो पर.

    आप को भी सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
    सादर,
    डोरोथी.

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