Main kahan kahan khojoon tumko
Jab bhi talashta hoon
dhadkane tej ho ke tumhara pata bata deti hain... Bharat
29/6/11
सुने ज़रा sune zara 29/6/2011
27/6/11
अब ना जायो छोड़ के / अब रहियो दिल जोड़ के

ये उसकी रहमत का फलसफ़ा है हम जो कहते हैं
ये उसका ही करम है जो फ़रिश्ते दोस्त बनते हैं...
मेरे निज़ाम का रुतबा यहाँ पर सब से ऊँचा है
मेरे निज़ाम मे देखो खुदा हम सब का रहते है...
जो मांगो तो सुने तुम्हरी
जो मानो तो सुने तुम्हरी
जो देखो तो सुने तुम्हरी
जो सोंचो तो सुने तुम्हरी
ना माँगा मैंने ज्यादा, सिवा जलवागिरी के कुछ
सिखाया उसने ये मुझको के इंसान कैसे बनते हैं...
जो मांगो देत हैं दामन
जो मानो देत हैं खुशियाँ
जो देखो देत हैं दर्शन
जो सोंचो देत हैं जन्नत
तुम मानो या ना मानो सच बदला नहीं करता
मैंने माना के वो ही हैं, जो हर शय मे बसते हैं...
पिया बसत हैं नयनन मे
पिया दिखत हैं मूरत मे
पिया की सुरतिया काबा मे
पिया हैं हमरे तन मन मे
तू अपनी बंद आँख खोल, एक बार जाग तो तू
तू जा दर पे उसकी, देख के आशिक वो निकलते हैं…
अब ना जायो छोड़ के
अब रहियो दिल जोड़ के
अब हम तुम्हरे आशिक हैं
अब तुम्ही तो मालिक हो
मेरे रुतबे, मेरी मैं का हर इक ज़र्रा तुझी से है
रूह-ए-'दस्तकार' मे बस निज़ाम साईं ही रहते हैं…
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24/6/11
ना मर जायें / na mar jaayeN / ,না মর জাযেং
Abhi ham haiN aa dekh le ,na mar jaayeN kahiN
Kuch ajab haiN ye dhadakne, na mar jaayeN kahiN...
Itne dardon ne hai basera is dil me kiya
Lag raha aaj ghut ke, na mar jaayeN kahiN...
Kahata hai vo bas baat din do char ki hai
Nahin ye sonchta sun ke, na mar jaayeN kahiN...
Kar ke raushan kyon usne veeran dil ko
Ab hai chhoda andhere me, na mar jaayeN kahiN...
Uski aankhon ke mai’khane ka sharabi hoon maiN
Subah hone ko hai pila de, na mar jaayeN kahiN...
Dekh tamasha-e zaindagi hai 'bharat' do pal ka
Itna haiN sochte aap ke, na mar jaayeN kahiN...
অভী হম হৈ আ দেখ লে ,না মর জাযেং কহীং
কুছ অজব হৈং যে ধডকনে, না মর জাযেং কহীং...
ইতনে দর্দোং নে হৈ বসেরা ইস দিল মে কিযা
লগ রহা আজ ঘুট কে, না মর জাযেং কহীং...
কহতা হৈ বো বস বাত দিন দো চার কী হৈ
নহীং যে সোংচতা সুন কে, না মর জাযেং কহীং ...
কর কে রৌশন ক্যোং উসনে বীরান দিল কো
অব হৈ ছোডা অঁধেরে মে, না মর জাযেং কহীং ...
উসকী আঁখোং কে মযখানে কা শরাবী হূঁ মৈং
সুবহ হোনে কো হৈ পিলা দে, না মর জাযেং কহীং ...
দেখ তমাশা-এ িংদগী হৈ 'ভরত' দো পল কা
ইতনা হৈং সোচতে আপ কে, না মর জাযেং কহীং ...
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नज़्म : ना मर जायें (भरत तिवारी ‘दस्तकार’)
छायाचित्र : वुमन पेन (झूमा मजूमदार)
© सर्वाधिकार सुरक्षित
ন্ম : না মর জাযেং (ভরত তিবারী ‘দস্তকার’)
ছাযাচিত্র : বুমন পেন (ঝূমা মজূমদার)
© সর্বাধিকার সুরক্ষিত
Nazm: Na mar jaayeN kahiN (Bharat Tiwari ‘ Dastakaar”)
Painting: Woman Pain (Jhuma Majumder)
© All rights reserved
21/6/11
तेरी चांदनी है बिखरी हुई
तेरी चांदनी है बिखरी हुई
खुशबू-ए-यार है बिखरी हुई
बहा जाए दरिया-ए-वक़्त
उम्र-ए-इश्क है ठहरी हुई
कभी चैन आये जो देखूं
जान ये बाकी है सिमटी हुई
कोई नूर आया घर में कहाँ
अब शमा है धुंधली हुई
इन उम्मीदों का शुक्रिया है
रूह-ए-‘दस्तकार’ है तेरी हुई
তেরী চাংদনী হৈ বিখরী হুঈ
খুশবূ-এ-যার হৈ বিখরী হুঈ
বহা জাএ দরিযা-এ-ব্ত
উম্র-এ-ইশ্ক হৈ ঠহরী হুঈ
কভী চৈন আযে জো দেখূং
জান যে বাকী হৈ সিমটী হুঈ
কোঈ নূর আযা ঘর মেং কহাঁ
অব শমা হৈ ধুংধলী হুঈ
ইন উম্মীদোং কা শুক্রিযা হৈ
রূহ-এ-‘দস্তকার’ হৈ তেরী হুঈ
teri chandni hai bikhri hui
khushboo-e-yaar hai bikhri hui
baha jaaye dariya-e-waqt
umr-e-ishq hai tahri hui
kabhi chain aaye jo dekhoon
jaan ye baki hai simti hui
koi noor aaya ghar me kahan
ab shama hai dhoondh'li hui
in ummedon ka shukriya hai
ruuh-e-dastakaar hai teri hui
© Bharat Tiwari (All rights reserved)
17/6/11
ब्लैक एंड व्हाइट
देखते रहो
सारे रंगों को
इन तस्वीरों मे सिर्फ तुम्हे ही रंग दिखते हैं
कितना भी पुराना हो जाये
ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों का ये एल्बम
तुम्हारे बालों का रंग सफ़ेद नहीं होने देगा
सब के लिये कमीज़ का रंग सफ़ेद होगा
तुम्हे वो आसमानी ही दिखेगी
तुम्हारी पहली कमाई की है , है ना ?
तुम्हे इन स्वेत श्याम तस्वीरों मे दिखेगा
वो सिन्दूर जिसे डालते समय तुम्हारा चेहरा भी लाल हो गया था
तुम तो बात भी कर लेते हो इनसे...
बेजान दूसरों के लिये ही हैं
तुम तो सुन लेते हो
हर बार
उस पेज मे दबी से आवाज़
“आप सिर्फ फोटो ही खींचते रहेंगे ?”
और फिर
“मेरी फोटो अच्छी नहीं आती, रुकिए मैं बाल तो सही कर लूँ “
तुम महसूस भी कर लेते हो
आज भी तुमने उन बालों पर हाथ फेरा
वैसे ही जैसे तब नैनीताल मे फेरा था
“लाओ मै ठीक कर देता हूँ”
और आज भी रुक गये
“रुकिये ! क्या करते हैं आप, सब देख रहे हैं”
वो यादें कभी रंग नहीं बदलती
जो ब्लैक एंड व्हाइट मे सम्हाली हैं
उनका रंग बदलेगा, तब
जिस क्षण तुम सफ़ेद हो जाओगे...
भरत तिवारी,
नई दिल्ली,
१७/०६/२०११
०४:१५
13/6/11
कॉलबेल और नेमप्लेट / Call bell aur name-plate
Dhool baithi hai
Aa kar us kone me
Kabhi
Jahan tumhari mahak hoti thi
...
Doston ko dekh kar
Sofa khush nahin hota
Baahar baithak men use tumhari aadat hai
...
Phooldaan men ab
Phoolon ki jagah plastick ne le li hai
Aur fir bhi pani saaf nahin lagta
...
Ashtray ki rakh
Haf’ton purani hoti hai
Kabhi jab dhoondh ke nikalni pade
Kuch purane dost
Unke aane par
... Kafi arsa hua mujhe chhode
...
Painting
Main khud hi sidhi kar deta hoon
...
Chabhi vali ghadi
Bahut din hue dikhi nahin
...
Haan baahar nameplate
Vaisi ki vaisi hi hai
Meri tarah
Call bell ko dabaati
Har ungli ko dekhati hai
Kab milega
Tumhari por ka sparsh
Usse
Aur mujhe...
...
...
Bharat Tiwari
13-06-2010 , New Delhi
© Bharat Tiwari (All rights reserved)
12/6/11
Faces:: Srinagar
जब हवा मे था कैमरा तब ही बाहर आने को कहने लगा ; शायद आँखों की भाषा समझता होगा ; सात रातें कश्मीर की सात रंग और सात जन्म सी…. कुछ तस्वीरें वहाँ के बोलते चेहरों की आप के लिए …
सादर भरत
Was in the air only when my Canon D1000 with 55-250 lens started asking to come out; probably understands the language of the eyes; the seven nights of Kashmir were like seven lives and seven colors .... Some photographs of the Speaking faces for you ...
Regards Bharat
9/6/11
समुंद्र मंथन … नरेन्द्र व्यास
छाया चित्र : इंटरनेट से
नरेंद्र भाई... बिना सांस लिए पूरी कविता पढ़ गया..इतनी गति है इसमे...
कितने गहरे शब्द इस्तेमाल किए हैं जैसे बलुआ देह...
8/6/11
सुने ज़रा ८/६/२०११ sune zara 8/6/2011
जिन यादों ने पलकों को भिंगो रखा है...
7/6/11
4/6/11
कृत्या में सात



एक...
इस शब्द में ही गडबड़ी है
ना जाने किसने सृजन किया
शब्दों की जन्म कुण्डली तो अब बनायीं जाती है
फलां शब्द किसने कब और क्यों कहाँ
और बाकी के ना जाने क्या क्या ब्योरे
‘इन्तेजार’ शब्द की बात कर रहा हूँ
जब से पैदा हुआ होगा
किसी को नहीं बक्शा
सृष्टि के बाद भी ये नहीं जायेगा...
दो...
तुम और मैं
साथ हुआ करते थे
दिन के हर पहर में खुश
तब हमेशा के किये जन्मों का साथ था
याद है पीर बाबा की मज़ार से वापसी
तुमने या फिर शायद मैंने कहा था
सात जन्मो का साथ माँग लिया है !
वो धागा अब भी “इन्तेज़ार” करता होगा
उसका भी और तुम्हारा मेरा भी रंग लाल था
रिश्ते खून के रंग से नहीं बनते, उसे क्या मालूम
“इन्तेज़ार” तो हम भी करते ही रहेंगे
उन दिनों का जो अब नहीं आयेगें
“इन्तेज़ार” साहेब आप भी कमाल के हैं उम्मीद की डोर को टूटने नहीं देते आप