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उम्मीद के कुँए की खुदाई हो रही है,
जिस ज़मीन का खून चूसा जा चुका है...
उसी के अन्दर कई जगह गड्ढे खुदे दिख रहे हैं।
खोदाई करने वालों के अलग-अलग गुट,
अलग-अलग सुरक्षा के उपाय उनके
प्लास्टिक, लोहे, कागज़, कपडे की टोपी पहने
ये लोग।
सब खुदाई में व्यस्त दिख रहे हैं।
उधर दूर एक गुट है, बड़ा गुट है , सबसे बड़ा
वो खुदाई नहीं कर रहा -
क्योंकि उस ने ही ज़मीन बंजर बनाई है।
लेकिन वो कह रहा है - हमें ही पता है...
आपकी प्यास, आपकी भूख कैसे मिटायी जाती है।
उम्मीद है कि प्यासे खड़े लोग उसकी बात नहीं बाकियों के गड्ढे
और उसकी गहराई देखेंगे।
तेल-पानी की जगह उम्मीद निकलेगी, ये उम्मीद है।

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