उस एक पल
जिसमे तुम मुझसे मिलोगे
कैसे कहूँ कि उसका इंतज़ार नहीं
क्या झूठ बोल दूँ
याद नहीं करता
ना
इंतज़ार रेल की पटरी जित्ता लंबा
भारी नहीं हुआ कभी
किनारे बैठ कर रस्ता तकना
उबाऊ नहीं - उम्मीद है
अभी तुम दिख जाओगे
पगडंडियों पर शाम का रंग बिखरने में
वक्त लगता है
ज़रुरी है क्या
शाम जाये तो पूरा चाँद आये
ना
पूरा चाँद आये तो होली हो
ना
इंतज़ार जाये तो तुम आओ
हाँ
... भरत
us ek pal
जिसमे तुम मुझसे मिलोगे
कैसे कहूँ कि उसका इंतज़ार नहीं
क्या झूठ बोल दूँ
याद नहीं करता
ना
इंतज़ार रेल की पटरी जित्ता लंबा
भारी नहीं हुआ कभी
किनारे बैठ कर रस्ता तकना
उबाऊ नहीं - उम्मीद है
अभी तुम दिख जाओगे
पगडंडियों पर शाम का रंग बिखरने में
वक्त लगता है
ज़रुरी है क्या
शाम जाये तो पूरा चाँद आये
ना
पूरा चाँद आये तो होली हो
ना
इंतज़ार जाये तो तुम आओ
हाँ
... भरत
اس ایک پل
جس میں تم مجھ سے ملو گی
کیسے کہہ دوں کہ اس کا انتظار نہیں
کیا جھوٹ بول دوں
یاد نہیں کرتا
نہ
انتظار ریل کی پٹری جتا
بھاری نہیں ہوا کبھی
کنارے بیٹھ کر رستہ تکنا
اباو نہیں - امید ہے
ابھی تم دکھ جاؤ گے
پگڈنڈیوں پر شام کا رنگ بکھرنے میں
وقت لگتا ہے
ضروری ہے کیا
شام جائے تو پورا چاند آے
نا
پورا چاند آے تو ہولی ہو
نا
انتظار جائے تو تم آؤ
ہاں
...بھرت
jis’me tum mujh’se miloge
kaise kah dooN ki uska intzar nahi
kya jhooth bol dooN
yaad nahi karta
naa
iNtzaar rail ki patri jit’ta
bhari nahi hua kabhi
kinare baith kar r’sta takna
ubaoo nahi – ummed hai
abhi tum dikh jaoge
pag’dan’diyoN (par sham ka raNg bikharne meN
waqt lagta hai
zaruri hai kya
sham jaye to poora chaNd aaye
naa
pura chaand aaye to holi ho
naa
intzar jaye toh tum aao
haaN
... Bharat
urdu courtesy dear friend Samina Mir
वाह.....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत....
अनु
शुक्रिया...
हटाएंbahut khoobsoorat
जवाब देंहटाएंनमन दीदी !
हटाएंखूबसूरत नज़्म
जवाब देंहटाएंBahut sundar..
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