"तर ब तर पसीने से. जिस्म पानी सा मेरा. चटख रहा प्यास से. तू बरस मुझ में दरिया से "......"तू बरस मुझ में दरिया सा " ये पंक्ति सीधे दिल में समा गयी आदरणीय भरत जी |पूरी रचना की जितनी प्रशंशा करूँ कम है | बेहद उम्दा रचना!
Jane ise romance kahoon ya kya. Par haan zaroor hai ki kuchh phool aas paas khilte nazar aaye. Ek aabshaar behta mehsoos hua.Shayad yehin romnce hota hai.
बहुत खूब...तम्मनाओं का सैलाब लेखनी से संवर गया... उम्दा भरत जी.
जवाब देंहटाएंआभार डॉ नूतन
हटाएंअच्छा है ...
जवाब देंहटाएंइतना भी
ना पिंघलो
रोशनी जाती रहे
जमाने की.
अच्छा है......
पिंघल जाओ
दायरों में
ताकि
बची रहे
आस रोशनी की
पसीने में
जवाब देंहटाएंनहीं वो
गंध.
जिसे छुपाने को.
लगाते हो
इत्र.
फिर भी
बरसने को
तैयार.
sunahri khwahishen sundar nazm me tabdeel ho gayi .. bahut umdaa !! shubhkamnayen apko !!
जवाब देंहटाएंaabhar Shobha ji
हटाएं"तर ब तर पसीने से.
जवाब देंहटाएंजिस्म पानी सा मेरा.
चटख रहा प्यास से.
तू बरस मुझ में दरिया से "......"तू बरस मुझ में दरिया सा " ये पंक्ति सीधे दिल में समा गयी आदरणीय भरत जी |पूरी रचना की जितनी प्रशंशा करूँ कम है | बेहद उम्दा रचना!
Bahut Sundar...Kash mein urdu padh paati toh mazaa aa jata...
जवाब देंहटाएं... thanks saru .... the urdu is courtsey my friend .... it for those who don't know hindi
हटाएंJane ise romance kahoon ya kya. Par haan zaroor hai ki kuchh phool aas paas khilte nazar aaye. Ek aabshaar behta mehsoos hua.Shayad yehin romnce hota hai.
जवाब देंहटाएंaabhar sir... shayad hi sahi lekin aap ko mahsoos to karaya rachna ne , safal hui
हटाएंsaadar
बहुत खूब...ये सुनहरा रंग तेरा..रंग देगा बादलों को...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मनीषा ...
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