जहाँ मैं
उदास हुआ था
तू
साथ कहाँ था …
माला की
मोतियों में
तेरा नाम
क्यों
लिखा था…
घंटियाँ
खनकी मंदिर की
तेरा नाम
गूँजता था …
जमीं में
उगी है
मिट्टी
सोंधा सा
मैं हुआ था …
एक
नया सा
चाँद देखा
या
नकाब वो हटा था …
कहीं
कुछ
दब सा रहा है
कही
तू जुदा
हुआ था …
भरत ००:०० २२/१०/२०१०
achchi abhivyakti...badhai
जवाब देंहटाएंsamay mile tab mera blog padh sakte hain
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जवाब देंहटाएंvandana
कहीं कुछ दब सा रहा है .....कहीं तू जुदा हुआ था......
जवाब देंहटाएंबहुत खूब भरत जी ........