लेखन: भरत एस तिवारी
Bharat S Tiwari
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27/8/10
iltjaa / इल्तजा/ التجا
मैं तेरा हूँ , खुद का बनाये रखना !
कहीं गुरूर जो आये मत बख्श्ना !
main tera hoon, khud ka banaye rakhna !
kahin gurur jo aaye, mat bakhshna !
میں تیرا ہوں , خود کا بنے رکھنا !
کہیں گرور جو اے مت بخشنا !
bharat tiwari
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