
और वो
दूसरे किनारे से भी दूर
कही छुप के बैठी रही,
खड़े हो कर मैंने जोर से आवाज़ लगाई
... सुनो ! कब आओगी ?
पानी में पत्थर की तरह आवाज़,
दो-तीन टिप्पे खा कर... गुडुप.
कम से कम किनारे पर ही जाओ -
रात में टॉर्च को जला-बुझा कर बातें कर लेंगे.
सुना है, रौशनी की गति आवाज़ से तेज होती है.
#BharatTiwari
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