22/4/13

नए साहब सुनो !


कैसा नया माहौल 
बना रहा हो ये 

...हाँ सुना है
जब साहब होते थे
तब 
साहब ही साहब होते थे...
देखा है पर्दे पर 
बेंत चटकाते
धप धप करते ऊँचे भारी जूतों को
किरर्र किरर्र करती मशीन
नोक को फैला 
दिखाती थी साहबों की चालें ...
मगर अब तो 
वो मशीन भी ना रही
तो क्या - 
वो स्वेत श्याम माहौल 
अब आँखों के सामने 
रंग कर दिखाओगे ...

नए साहब लोगों सुनो 
कुछ धहक रहा है
पहले धीमा था
मगर अब
लील खायेगा तुमको  



- भरत 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह पोस्ट आज के (२ मई, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - आज की बड़ी खबर सरबजीत की मौत पर लिंक की जा रही है | हमारे बुलेटिन पर आपका हार्दिक स्वागत है | आभार और बधाई |

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