खबर
भूख की
भूखों की
भूख बेचने वालों की
नंगों की
नंगे होतों की
नंगे करे जातों की
जंगल की
जंगलियों की
जंगलराज की
जंगल बचाने की
... डिमांड में है
जंगलियों की भूख बढ़ रही है
डिमांड की नियति – बदलते रहना
खबर
बेचने की
बिकने की
बिक गए की
देश की
विदेश की
देशप्रेम की
विदेश प्रेम की
... डिमांड में है
प्रेम बिक रहा है
प्रेम की नियति – बदल रही है
अन्दर झाँकना बंद कर दिया
बाहर देखना मना है
मैल –
चमड़ी का पोर पार कर गयी
रंग खून का और रंगत मवाद की
मवाद से चले खबरी-मसाला-मशीन
खबरों के प्रेमी -
सब ...
भरत की कविताएं अब प्रौढ़ हो रही है, शानदार प्रस्तुती, शानदार प्रतीकों के साथ वर्तमान के कुमलाहे चेहरे को उकेरती हुई कविता.
जवाब देंहटाएंप्रौढ़ कविता।
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