14/11/11

कीड़ा Kida

tकीड़ा ... रचनाकार भरत तिवारी
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7 टिप्‍पणियां:

  1. Chha gaye Bharatji...sochne pe majboor karti hui...lal batti..

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  2. उम्दा... क्या खूब कहा कि किरचे मैं एक एक बिम्ब होगा कीड़े जैसे दीखते होंगे तुम... वाह ... बच कर रहना रे बाबा इस कीड़े से .. कविता शानदार

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  3. भरत जी
    बहुत खूब शानदार रचना बढ़िया पोस्ट ....

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  4. बहुत सुन्दर रचना है भरत भाई!

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  5. Abhi tak ki meri padhi behtareen kavitaaon mein se ek! Ekdam original aur soch par jami dhool ko fatkaar kar udaati hui....bahut umda!

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  6. बहुत खूब....मैने पहले भी कहा है...फिर कहता हूँ.....अद्वितिय कल्पनाशीलता....शानदार रचना।

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