6/4/11

AB TO NEEND TOD KE HI DAM LOONGA / अब तो नींद तोड़ के दम लूँगा

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1 टिप्पणी:

  1. किसी की रचनाओं में तभी इतनी गहराई आ सकती है जब आदमी में बहुत संवेदना हो या तो अगर उसने कभी यह दर्द का एहसास किया हो आपकी हर रचानो में इस चीज का उदाहरण दिख रहा है बागवान आपकी ऐसी सोच यूही बनाये रखे

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