22/12/11
20/12/11
Mile fursat to tum aa jaanaa मिले फुरसत तो तुम आ जाना
18/12/11
Color of their colorless night
Marriage …
Ceremony full of colors; some faces remain in the background and these are those that add The Colors. I was fortune too capture these innocent unknown colorless faces under some lights that could give them color and my camera could bring the real smile on their faces.
See them with your inner eyes and let your heart feel all their pain and happiness …
14/12/11
6/12/11
रेंगते इलेक्ट्रोन Rengte Electron
PURNIMA IS MARRIED,HAS TWO BEAUTIFUL DAUGHTERS, A VERY SUPPORTIVE HUSBAND[DENTIST], PAINTS [OIL / ACRYLIC ON CANVAS]
...With Regards to all the lovely readers of this site
Always here
Bharat Tiwari
29/11/11
कवि की पेंटिंग Kavi ki Painting
24/11/11
Happy Thanksgiving
21/11/11
Dhadkan jõ abhï abhï aayï धड़कन जो अभी अभी आयी
20/11/11
naya andaaz नया अंदाज़
19/11/11
Chhoti-Chhoti Badi-Badi Bate.n छोटी-छोटी बड़ी-बड़ी बातें









14/11/11
कीड़ा Kida
9/11/11
पेरिस के बहुत ही अपने “म्युज़े रदां” से
चुनकर लाऊं
शब्द फूलों से ...
जोड़ूँ
और मिला के
बना माला
दे दूँ
तुमको.......
कि
समझ जाओ तुम
कितना बेचैन हूँ
तुम्हारे लिए........ !
पिछली दफ़ा
माला ना बनी थी सुन्दर
कर ना पायी
बयान !
कमज़ोर शब्द...
कह ना सके तुमसे
भावना मेरी
आये वापस लेकर तुमसे
जवाब एक सवाल एक
“क्यों !! ? “
... थी माला कमज़ोर
या देखा ही नहीं तुमने...........
शब्दों में ताकत होती है
सोचा ना था
...
नहीं हैं
आड़ी-तिरछी
गोल-मटोल
सुंदर ज्यामितीय आकृतियां
उनमे “सब में” होता है
“वो सब” मेरा
है जो सिर्फ तुम्हारा
...
नहीं देखते तुम
तुम्हारी बदली प्राथमिकतायें
...
नहीं बदली, ना बदलेंगी
मेरी ये इच्छायें...
यहीं की यहीं, वहीँ की वहीँ
रहेंगी
चिरकाल तक
मेरी ये इच्छायें...
धरातल से लिख !
कर ओस से तर
आकाश को सौंप
कवि हुआ -
जीवित “स्टैचू ऑफ थिंकर”
अपनी ही पेरिस के बहुत ही अपने “म्युज़े रदां” में
भरत तिवारी, ६:५५, ९-११-२०११
नई दिल्ली
© भरत तिवारी (सर्वाधिकार सुरक्षित)
6/11/11
रोमियो और जूलियट Romeo aur Juliet

सादर भरत तिवारी

with regards Bharat Tiwari
2/11/11
wo khat / वो खत / ਵੋ ਖਤ
wo khat
na jaane kab aaya tha
tareekh bhi nahin padi hai
aur mila bhi
wahan us kamre men
jahan bachpan se baahar aaya tha main
16 saal to ho hi gaye honge
jaane kaise rah gaya , khola tak nahin
aaj milne ka kuch makasad to tha
padte hi ,jagjeet ki yad aayi, ke "dene waale mujhe maujon ki.."
khair un dinon ko de gaya wo khat
aur samhala hai ab aise
jaise likhne wala khud mil gaya ho
aur wapas mere kandhe pe apna haath haule se rakh bola ho ki scooter dheere chalao
..bharat

वो खत
ना जाने कब आया था
तारीख भी नहीं पड़ी है
और मिला भी
वहाँ उस कमरे में
जहाँ बचपन से बाहर आया था मैं
१६ साल तो हो ही गये होंगे
जाने कैसे रह गया , खोला तक नहीं
आज मिलने का कुछ मकसद तो था
पड़ते ही ,जगजीत की याद आयी, के "देने वाले मुझे मौजों की.."
खैर उन दिनों को दे गया वो खत
और सम्हाला है अब ऐसे
जैसे लिखने वाला खुद मिल गया हो
और वापस मेरे कन्धे पे अपना हाथ हौले से रख बोला हो कि स्कूटर धीरे चलाओ
..भरत
ਵੋ ਖਤ
ਨਾ ਜਾਨੇ ਕਬ ਆਯਾ ਥਾ
ਤਾਰੀਖ ਭੀ ਨਹੀਂ ਪਡ਼ੀ ਹੈ
ਔਰ ਮਿਲਾ ਭੀ
ਵਹਾੰ ਉਸ ਕਮਰੇ ਮੇਂ
ਜਹਾੰ ਬਚਪਨ ਸੇ ਬਾਹਰ ਆਯਾ ਥਾ ਮੈਂ
੧੬ ਸਾਲ ਤੋ ਹੋ ਹੀ ਗਯੇ ਹੋਂਗੇ
ਜਾਨੇ ਕੈਸੇ ਰਹ ਗਯਾ , ਖੋਲਾ ਤਕ ਨਹੀਂ
ਆਜ ਮਿਲਨੇ ਕਾ ਕੁਛ ਮਕਸਦ ਤੋ ਥਾ
ਪਡ਼ਤੇ ਹੀ ,ਜਗਜੀਤ ਕੀ ਯਾਦ ਆਯੀ, ਕੇ "ਦੇਨੇ ਵਾਲੇ ਮੁਝੇ ਮੌਜੋਂ ਕੀ.."
ਖੈਰ ਉਨ ਦਿਨੋਂ ਕੋ ਦੇ ਗਯਾ ਵੋ ਖਤ
ਔਰ ਸਮ੍ਹਾਲਾ ਹੈ ਅਬ ਐਸੇ
ਜੈਸੇ ਲਿਖਨੇ ਵਾਲਾ ਖੁਦ ਮਿਲ ਗਯਾ ਹੋ
ਔਰ ਵਾਪਸ ਮੇਰੇ ਕਨ੍ਧੇ ਪੇ ਅਪਨਾ ਹਾਥ ਹੌਲੇ ਸੇ ਰਖ ਬੋਲਾ ਹੋ ਕਿ ਸ੍ਕੂਟਰ ਧੀਰੇ ਚਲਾਓ
29/10/11
Subah mē abhī vaqt hai . सुबह मे अभी वक्त है.
इतनी खूबियाँ देकर
तुम्हे धरा दी गयी
...
अनगिनत विचार
जिन्हें पाल-पोस कर ज़िंदा करने का दायित्व
"सिर्फ" तुम्हारे पास था
...
अच्छी शुरूआत हमेशा अच्छी नहीं होती ,
ये तुमने "क्यों" कर गलत सिद्ध किया
...
पराजित हुए
मदमस्त हो
मरीचिका मे रह कर
विजय का जश्न
"कैसे" मना सकते हो
तुम !
...
अब भी टटोलोगे
तो बहुत सारी
"ब्रेन शेलस्"
साँस लेती मिल जायेंगी
फिर रात के भूले हो
और....
सुबह मे अभी वक्त है
...
सिद्ध कर दो
अच्छी शुरूआत हमेशा अच्छी होती है !!!
एक विराम आया
तो "क्या" .......... !
नई दिल्ली , १७३१ , २९.१०.२०११

Itnī khūbiyāN dēkar
Tumhē dharā dī gayī
...
Anginat vichār
JinhēN pāl-pōs kar zindā karnē kā dāyitva
"Sirf" tumhārē pās thā
...
Acchī śhurū'āt hamēśhā acchī nahīN hōtī,
Yē tumnē "kyōN" kar galat sid'dh kiyā
...
Parājit hu'ē
Mad'mast hō
Marīchikā mē rah kar
Vijay kā jaśhn
"Kaisē" manā saktē hō
Tum!
...
Ab bhī ṭaṭōlōgē
Tō bahut sārī
"Brain Cells"
SāNs lētī mil jāyēṅgī
Phir rāt kē bhūlē hō
Aur....
Subah mē abhī vaqt hai
...
Sid'dh kar dō
Acchī śhurū'āta hamēśhā acchī hōtī hai !!!
Ēk virām āyā
Tō "kyā" .......... !
New Delhi 1736, 29.10.2011
25/10/11
Abki Jo Deep Jalen / अबकी जो दीप जलें
22/10/11
हाफ़ लाइफ Half Life
19/10/11
कैसे करता है इश्क की बातें

दूर से देखोगे तमाशा कब तक
घर पहुँच जायेगी आग ये तब तक
मुंडेर हैं जुड़ी पड़ोस के घर से
सो रहा है तू और वो हैं रोते
अभी दस्तक तेरे किवाड़ पर भी आयेगी
तब जब उनकी चिता जल जायेगी
तेरी मिट्टी भी वहीँ होगी गरम
जिस जगह उसने थोड़ा होगा दम
अब कोई वक्त नहीं आयेगा
जो ना जागा तो तू सो जायेगा..
अब कोई वक्त नहीं आयेगा
जो ना जागा तो तू सो जायेगा...
Dūr sē dēkhōgē tamāśhā kab tak
Ghar pahuNcha jāyēgī āg yē tab tak
Muṇḍēr haiN juṛī padōs kē ghar sē
Sō rahā hai tū aur vō haiN rōtē
Abhī dastak tērē kivād par bhī āyēgī
Tab jab unkī chitā jal jāyēgī
Tērī miṭṭī bhī vahīN hōgī garam
Jis jagah usnē thōdā hōgā dam
Ab kō'ī vaqt nahīN āyēgā
Jō nā jāgā tō tū sō jāyēgā...
Ab kō'ī vaqt nahīN āyēgā
Jō nā jāgā tō tū sō jāyēgā...
15/10/11
Āj yē iśhq jāN pē bhārī hai
12/10/11
10/10/11
Kaash Afvaah Hoti काश अफ़वाह होती
कुनै भूलमा पनि बाँच्छु केही दिन
तिम्रो गितमा मिली दिन्छु केही दिन
भर्खरै खबर आयोएकदमै ताजा छ
अब गलत सम्झन्छु केही दिन…
कुनै भूलमा पनि बाँच्छु केही दिन
तिम्रो गितमा मिली दिन्छु केही दिन …
Translated to Nepali by Smriti Dhungana स्मृति ढुंगाना
9/10/11
8/10/11
चीख़ / Cheekh
1/10/11
कृत्या अक्टूबर २०११ | Kritya October 2011
1. अग्फा और कैनन और मैं
तस्वीर उतारता रहा
अपने कैमरे को मैंने अपना बचपन पहना दिया
और बोला कि
तुम ! जो बड़ी बड़ी तस्वीरें खींचते हो
आज वो खींचो
जो मैंने
'अग्फा' से उतारी थी//
वो अपनी आँखों को मेरी आँखों का सहारा ले
कोशिश करता रहा
थक गया //
मैंने मजाक किया उससे
"भाई तुम तो बड़े टाइप के हो, मेरा 'अग्फा' वो नहीं थकता था छोटा था फिर भी ....
... तुम्हे तो रीलें भी पैदाइशी मिली है
जैसे चांदी का चम्मच ले पैदा हुए हो "
उसकी थकान बस एक बैट्री भर से मिट गयी
और बिना कुछ जवाब दिये
वापस शुरू हो गया वो , क्लीक क्लीक ! //
रात को मैंने दुबारा जब कहा "तुमसे नही होगा !"
वापस बिफर उठा मुझ पर ही
"गया वक्त वापस नहीं आता
गए वक्त की तस्वीरें नही उतरती "
बोला !
"तुम खुश किस्मत हो
तुम्हारे ज़हन में तो है
उसको ही सम्हाल लो
अब वो तस्वीरें ज़हन से बाहर 'कभी' नही आएँगी
'अग्फा' हो या 'कैनन'
तुम्हारे साथ वो भी बड़े हो गए हैं"///
मैं चुपचाप बच्चों की तस्वीरें उतारने लगा
उसने बचपन का जामा उतार के
गेस की जींस वापस पहन ली थी
2. वक्त के उस 'एक' सिरे की तलाश है / जिसके अँधेरे की रोशनी से मेरे चिराग अब भी रौशन हैं // जो धडकनों को काबलियत दे रहा है / सालार बन के लगाम थाम // डोर थामी है गुड्डे की / फूँक रहा है जज़्बा-ए रवां, जाविदाँ/ तमाम पीरों की दुआ / दुआ का असर/ असर के असर से दौड़ती सारी उम्मीदें / उम्मीदों का खैरख्वाह / सब 'उसी' सिरे के जानिब हैं// सफ़र था लंबा/ अब कट गया/ अब आने को है 'वो' हाथ मेरे// *सालार leader *जाविदाँ everlasting |
जब आना तुम......
जीने के अरमान ले आना
जब आना तुम......
धूल सनी डायरी तुम्हे ही सोंचती होगी
कुछ गीत ग़ज़ल कुछ शेर नज़्म ले आना
जब आना तुम......
करके बसेरा है पसरा गहरा ठंडा सन्नाटा
बेपरवाह हँसी, लबों की गर्माहट ले आना
जब आना तुम......
मंदिर मस्जिद गिरजों मे तो मिले नहीं
ढूँढ के जो मिल जायें भगवान ले आना
जब आना तुम......
साथ नहीं है देता वक्त और वक्त के लोग
बढ़ती सी इस उम्र का चैन आराम ले आना
जब आना तुम......
है हमसे मजबूत हमारे रिश्ते की बुनियाद
इस दुनिया की खातिर कोई नाम ले आना
जब आना तुम......
समय रुका है जहाँ छोड़ के गये थे तुम
गये वक्त मे देना था जो प्यार ले आना
जब आना तुम......
साँसें घुटती हैं अब ईंट की छत के नीचे
छोटा सा आँगन और पेड़ की छाँव ले आना
जब आना तुम......
एक ज़माना गुज़रा सुने हुए दिल को
'भरत' की गुम धड़कन को भी ले आना
जब आना तुम......
अन्य रचनाये यहाँ …
24/9/11
" फोटोग्राफर गौतम राजाध्यक्ष" यादें: एक शख्सियत की
प्रतिष्ठित फोटोग्राफर गौतम राजाध्यक्ष का निधन – जिसने 1970 से 2011 तक फिल्म सितारों की तस्वीरें ली हों - ये सवाल खड़ा कर रहा है : कि क्या होगा अब उसकी खींची तस्वीरों के विशाल संग्रह का ,वो तस्वीरें जिनसे हजारों पत्रिका के कवर नवाज़े गये ? जिनमे प्रचार पोस्टरों तो है हीं और जिनमे शामिल हैं ऐसी छवियाँ भी जिनसे माधुरी दीक्षित और काजोल जैसी हीरोइनों के करियर का शुभारंभ हुआ हो?
गौतम, उन्होंने शादी नहीं की थी, 13 सितंबर 2011 को अपने 61 वें जन्मदिन से 13 दिन पहले एक जबरदस्त दिल का दौरे के कारण इस दुनिया से चले गये. गौतम ने अपने दुर्लभ काम को दिखाने के लिये एक प्रदर्शनी “द अनसीन गौतम” की योजना भी बनाई थी लेकिन वो योजना आगे नहीं बढ़ पायी. गौतम की चचेरी बहन मशहूर लेखिका- समीक्षक शोभा डे भी तस्वीरों के संरक्षण को ले कर चिंतित हैं.
बॉलीवुड के पोस्टर अब एक संग्रह का सामान होते जा रहे हैं, इन पोस्टरों की जबरदस्त कीमत है घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार दोनों मे ही जहाँ इनको फिल्म थीम्ड रेस्तरां और बुटीक के लिए उपयोग किया जाता है. प्रचार अभियान के पोस्टर और होर्डिंग के लिये गौतम को खास बुलाया जाता था. सुपरहिट फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे और मैंने प्यार किया से लेकर रंगीला और कभी खुशी कभी ग़म इत्यादि तक के पीछे गौतम ही थे.
एक फोटोग्राफर, एक ओपेरा शौकीन और खाने का शौक रखने वाले गौतम ने ना जाने कितनी बार बिना पैसा लिये ही ऐसे अभियान करे हैं , क्योंकि उसको खुशी मिलती थी फिल्म निर्माण की प्रक्रिया का हिस्सा बन कर. उसने राहुल रवेल द्वारा निर्देशित बेखुदी और अंजाम के लिए पटकथा लिखी, और सलमान खान के साथ एक फिल्म के निर्देशन बस शुरुआत तक पहुच गया था.
उसकी कॉफी टेबल किताब ‘फेसेज़’ दुर्गा खोटे, नूतन और रेखा जैसे वरिष्ठ सितारों के लिए एक श्रद्धांजलि थी और एक स्नेह था उन सितारों के लिये जिनको उसने वो सब सिखाया था कि कैसे कैमरे की घूरती आँखों के सामने आराम से रह कर अभिनय किया जाये. फिल्म हस्तियों के अलावा, उसको उद्योगपति जे आर डी टाटा, चित्रकार एम.एफ. हुसैन और क्रिकेटर सुनील गावास्कर और सचिन तेंडुलकर ने भी अपनी फोटोग्राफी के लिये बुलाया था. राजनीतिज्ञों को हालांकि वो खेद के एक विनम्र पत्र के साथ मना कर देता था क्योंकि वो उनकी विचारधारा से सहमत नहीं था
मुम्बई मे गौतम राजाध्यक्ष के पुराने-सांसारिक-स्वरूप विशाल घर और स्टूडियो मे ही उसकी तस्वीरों का संग्रह है; जो की ज्यादातर फिल्म पारदर्शिताओं के रूप में है क्योंकि डिजिटल कैमरों के आने से पहले इनका ही प्रचलन था. चरम मौसम की स्थिति और धूल उन्हें असुरक्षित बना सकते है. यदि वे वातानुकूलित सुविधाओं में नहीं रखी जाती हैं तो वो वे फीकी पड़ सकती हैं यहाँ तक की घिस पिट के किसी लायक ना रहने की स्तिथि मे जा सकती हैं
दूसरे शब्दों में, ज्यादा से ज्यादा पाँच वर्षों में, गौतम की बहुप्रशंसित कलाकृतियाँ भूली बिसरी यादें बन सकती है. उसके प्रशंसकों की एक विशाल संख्या एक पूर्वव्यापी प्रदर्शनी लगा के उसको अपना सलाम देना चाहेगी, लेकिन इस तरह के किसी उपक्रम को करने लिये धन भी आवश्यक है. उसकी आखिरी इच्छा जो उसकी वसीयत में थी , कि वो अपनी मौत पर कोई विशाल समारोह नहीं चाहता. उसकी केवल एक शर्त थी कि उसकी पसंदीदा गायिका मारिया कल्लास की एक सीडी उसके अंतिम संस्कार के पहले बजाई जाये .
बॉलीवुड की नामीगिरामी हस्तियाँ उसकी अंतिम यात्रा में शामिल हुई. उम्मीद है, वो भी उसके चित्रों की विरासत के संरक्षण की दिशा में काम करेंगी, जिनमे हजारों कहानियाँ समाई हुई हैं.